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________________ लाकोल 14 बदरीश्रापद जिंतिज पटिका श्रन्ययमोदकादितधावि विक्रयमास विक्रया जावा रास्टि सचचुन्नाई। कोल चुन्नाई श्रारणे । सकेलिया पिये। नेवाधिनदा विदा प्रशविकार मापसढरए पिनं परिसानीप्रति यावत्ते उनमे नास्तिकं मासं गलाव्यमय स्वाथमफलै टीम फते मपंचाल कंटकेस गरिफासि द्वितीया प्र२शब गाले अण मिसेवाबऊकट्या इचयेतिध्ये बिनं ननुड न्त्रिकम फलं बिनवलं मांसादनोजनं च न धर्म कंराज्यं चबऊ तदप्रतीच शापादिना श्रव इतुममें शाम नीना नादिफल का विसंबलि (2|त्रणेशिया साथ जाए। बऊन शिय्धप्रिय दितीये॥118) तदेव द्यावया आरमाला दिवा वारिधावनं सुमघटाने में स्वेदमपिजला दिवान लोकल कंपनीयानू चिरमेत मिसानु छाद निवा कहती अभुनाथान अपरिपाकमादोस्य जलीयादिन्य चौरिधीय संसेश्म चान लादा शोधयविव द्वारा प्रपोजे जाणिजचिराधोये। मइपदेशणेश बेलायतश्यायारुतीवेला तितश्चक्राम निशेकिर्तन्तवतिटी या ६ शोदकं परिलने त्रिदो ६ नं वा परिट की या संयम वारिणि सुचाना। अधनियां किये लावा जीवे एयेन चा। पडिगिदिद्य संजया प्रदा होन देरुमे माममलस्यम्प्रति कितनवे आस्वादरे वयेन निश्वयंयन् कं स्वादन संकियत विज्ञा ग्रासाइता सरोव|७१ | घोवमा साहामिदला दिये। मामेव बिले झन नातंत्र सोपनोदायच श्रत्यक्षं प्रतिलोमनोदाय तदद देनी प्रतिश्राचरके नमेकता त्याला दिन नपरोस शील लेतिले विपिन श्रचेबलेश्शमा लिभिन्न विति॥ दितीयेतंच कमि आदि १३
SR No.650008
Book TitleDasvaikalika Sutra
Original Sutra AuthorSwayambhava
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1622
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_dashvaikalik
File Size36 MB
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