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________________ परिष्टाती श्रन्यानसठ जाणामि इत्यादिसर्वसरट्र का पंचमेनदेनमा उपस्थित स्मि इत्यादिवितव्यं अपरिग्रहं परिगिने तिविश्राननसुमपुर मे शनिमहवयं उघटि मिसवला परिया श्रमापाशत्रिलोजना रिम सर्वस] रात्रिलोचनादिरमण नेवमन्ये रात्रौ जया सावरमे। ॥ श्राहाभारबाट सातसदद्वय राई जो यणावानरमण सघं को तराशनाय miss श्रनिंया पार खादिमंवा त्र स्वादिभंवा ५ निवस्वयं राजे कामास का पारांचा खाइमेवा साइमंथा निचसये राईजि मानवानहिरा इं जयानलुलविषष्टेशन ते अप स्वितोस्मि सर्वस्मा राजिनाम श्रीशिराजालेन मुष्णु जाणिजा छाबेठेतच अवनि मिसनाराईलोय तमाचराविजन विरा सर्वतानां न ममात्यानिषेधमान आत्महितामोघ) एड्रावरमणी पाचशेपेचम हवया । राई नोयणावर माणवठाई | अत्तदिय द्वाय नवसं रामित्रका मि. १० चारित्र धर्म योशिका टिम व्रतशुक्तीयो मोत कूसिंग्कू की बात संयतः समदस मेयमोपेत संयमन विश्नः प्रतिहितिपय कर्म अघ पत्रीयताकार पता दिहराम शास निस्कू वालिस्कूटीवा से जयचिररूपयिपत्र स्काइ | पाव क दिवावा रात्रेिवा एकोनापरिष मोवा जपतोवा 13 वामक सिलेबा रियादा राजदा पाउघा परिसाचा खातमा जागर मालेचा सीिंया सत्तिवासलिव
SR No.650008
Book TitleDasvaikalika Sutra
Original Sutra AuthorSwayambhava
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1622
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_dashvaikalik
File Size36 MB
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