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________________ . ईष्ट वनबह आपदसंघातिमहारक्तचितब अतिरक्तक सारविरक्तनहाइट कानबर यावत् पंचविध पासग वश्स्य वागदेगागाहावसर्मिपरताविरता रहे सद्देजावयंचविह चाक्षादिक मनुष्यनाका प.अनुत्तवता तोगवताविचर तैरुवाणिग्रामनगरनई बाहिरकतर मत्तोग ब विषा माणुस्सएकामतोएपच्चाएतवमाणविहरतितस्मणवाणियगामस्साबहिया न अनपूर्व विचालें जेईशा तिहा कणि कौलाससिनाम संन्नेवेस ढूंक पणितहकवितपल्टाकदवी नक्तणि हुं एकरुवश्व समानसमवसनायनप्रतिरूपपुरुबह तरपुरसिमेदिसिताए एवण कोनाते नामसंमिवेसेहोबा रिकाबिमियजावपा तेरु कोल्लाग संनिवेसनविषाणंद गृहपतिन बघणामिन जाति।।। पोताना सादिणतन्त्रणकोलाए संनिवेसे ग्राणदसागाहावस्माबजएमिताणातिलियग सऊन संबंधिापरिजना दासादिकंगायश्ना| तेस्पणिमहाधनवंतसम् तेणिकालैनेणिस श्रमण। वैचाहारषवाबसर्व तिलवस ब मि सयणासंबंधिपरिजण परिवसति अहेजाव अपरिसूतातिएकालेरसमो
SR No.650006
Book TitleUpasakadasanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorSomji Rishi
PublisherSurat
Publication Year1783
Total Pages202
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size29 MB
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