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________________ नपासग १४ ते कहि नामासूमि बाहरिनामासूमिबाहिरि स.सादकरावासा | रूपदेषामी बजे] Q• का क घी वस्त्र णावी इ१] मोकली इतै अनाचार 21 बजे जगावी | जलाबी इ| ४ | ब वप्पन सवप्पन सहावा एवागावाराधाबहि श्रावकनइ तेजा | नाषा संकेत ऊ गावी ||१०| तिवारी पोसह व्रत विषइ। या पालखेवे ॥१॥ तयाशी तरेचणं । पोस होववा सोमणो वा सात (मणि समाचरवाना) वेके | जावरा किले शिय्या संघा 'रादिक' संघारात सोमिका शिष्टि डोई पांच'ताचार] ऊाण वा पंचप्रया राजा शियच्चा न समायरिया | पडिल हाय 54 डिले हाम नरम किले हा दायमा जान सिसान संघारा मानक देब) मिले ही न हा रिष्टिनिराकण नऊइ । | लादिकम्रमार्ज | तेलूगमानइ बेहमितेप्रमार्जनक हाइ का धुन अथवा प्रविधिवि सिजा संघारै अप्पमझियापमडिया सिका संबारै पडिले हाय उप प्रमाज्या उत्तरा सिंग निश्ळे हमितघा दे मास शिकराजा न [ प्रमाज्युन इ|४| उपयोगि । उनमा नातिबाहिरजावा । काधी ऊश्र) मा करवानी मित्र | डिलेही यंनच्चा र पासवनूमा अप्पमडियाप्पमडिया उच्चार पासवान १४
SR No.650006
Book TitleUpasakadasanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorSomji Rishi
PublisherSurat
Publication Year1783
Total Pages202
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size29 MB
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