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________________ उपासग ८० ककदी || कबश्रमण सगवंत मदावी रहे लपुत्र सदा जपुत्र गोसाला में कई माहानिर्ज्यामीक तिवारी गोसा जो सदा जपुन मादा निर्ज्यामीक कम ते ऊंण हे देवाएं पिया। हाय मेकेां देवाएं पिया महाविद्यामय समऐसगदंमदा वीरे म हालिया मए एवं निश्चरं | हृदेवाएं पिया सदा श्रमण सगवंतमहावीरदेव | माहानिजमकढई | |संसारमो टा समुड्मादई || खलु देवाप्पिया समणे सगर्वमहावीर महालिया मए संसारेमदास मुद्दे न जीवनमार्गमा जनमजरा मर्ण रोग सो बुरुतानई | निरंतरविशेषइंबु उष्टकमा रु पृथका मुषपाली मापामा उतानई मकरी सोसवता जाव हवे जीवन समाजावदिनुप्पमाणे बुमुमागे निबुडुमा ले व पियमा ले धम वायने डी व मोहरूपी इंतीरहं ॥ [ सहस्ति करी पऊचा उई || ते तेलइं देदेवाणुं पियास देवा ए पिया यना इश्क दालपुत्र ॥ |मताप नावाए| निवारण ती रातिमुदे सादचिंसंपादेति | सेतेाठे श्म कही एलं श्रमण लगवंतमा हावी र देवन | माहानी यी मी ककड़ी | तिवारी ते सदालपुत्र | | श्रावकई कारलाई यई॥५ एवं चुच्चति समले सगर्वमहावीरे महानिद्यामप्| ततेां से सद्दाल पुत्त्रे समो GO
SR No.650006
Book TitleUpasakadasanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorSomji Rishi
PublisherSurat
Publication Year1783
Total Pages202
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size29 MB
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