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________________ || सातसीष्यात ] | पर्वबारबत | | गृहधर्म | | अंगीकार करई) तिवारपबीते / अग्रिम इयं सत्रसिखावतीय वाल सविहंगिदिधम्मं पडिवद्याति ते साम सार्याई || |सहालपुत्र । समणोपासक नुं वचन तदितकरी | इम | विनयसहीत | वचनससिलीनें ताजारिया महाजपुलस्म समलो वासय स्मृतदत्ति एवं दिए एवं पडिमुऐति तिवारपबीते | सदाजपुत्र || श्रावकई || ऊटंबी कपुरुषनई | तेडावीनई ) | श्मकदिजं । / ततेां से सद्दालपुत्त्रे समो वासए को डुंबियपुरि से सहावे तिश एवं व्यासी।। सिा उतावली | हेदेवाएं प्रिया || शिघ्रकिया न प्रविष्टरु | प्रत्रायो खुरी नई पुंबन इंजेहना सम | पलं ते लाई करा संयुक्त उपत उल्पसरीषां व वक्र नही विप्पामेव तो देवाएं पिया | नऊ कर ले जुन जोईये | समखुर वालि हा स सीग बेसमा बईन्यवक्त उसी सुवर्णमय ग्रीवा नाच्या सराईयुक्त रं | प्रतिविशिष्ट कहितां || रुपामय गादानी कल्पानी वागल / मलिदियसिंगपहिं जंबुण्या मय करना वजोत्रं परविभिद्वपं श्ययाम राजेन
SR No.650006
Book TitleUpasakadasanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorSomji Rishi
PublisherSurat
Publication Year1783
Total Pages202
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size29 MB
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