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________________ ॥ श्रावक श्रात्मा | घणुं । सीलव्रतादिककरी पोलानोसावतो व को) चउदवरमयत्तिक | समणे वास या बहु हिंसी बजावण्णा नावे मालम चोदा संव मईधक) | पनरमुं }} ॥ दरस ॥ || वरत नई | घक | | एकदा प्रस्ता रातिवीत्तिकं तापेन्नरस्तमस्मयांसंदञ्च रस्म | अंतरावहमा एस्मा मया | वरं || जिमकांमदेवनी पर | निमज वडापुत्रन ) कंटबनविषघापीन | पोषहसा लान निषई ।। कथाईजिदा कामदेवो नहा जेठपुत्रं बेठा देता जाव पो सहसा लाए। | धर्म तीर्थंकर नो पुरुप्पो || संगीकार करीन || विचस्यो || इम गीयारश्रावकनी || प्रतिज्ञा ॥ | डावधम्मपत्ति उवसंपछित्ताविहरति । एवं एक्का रस उ वा सगपडिमा तो तिमज पाली नई | सौधर्म कल्पनेविषरं । काझविमान इंदेवना अनुक्रम माहानीदेहमाद सास ।। पाई उपनो रुपमा ले डावच्यं तं करेति निखे वो६ ॥ ॥ समाप्त नुक्रम लदेवजाव मोम्मेको
SR No.650006
Book TitleUpasakadasanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorSomji Rishi
PublisherSurat
Publication Year1783
Total Pages202
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size29 MB
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