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________________ दांते करीरखा जावली अभिनेश पोकरी | जे०जेनिकनें अ उलो गेोबो पाने बो मानोगेश् सीदिवस पैसरी रोज घोडईतवारीयो संजमनेविबेलवली अनि तपस्वीममाकी र्यगोपवे नदीतेनणी कर्मवेरी प्रतेरो ६१ कमनो ममादि चंदते हिरवायद जायतेयंशए हिंदगद जेभिरक्तमन्नद २६ श्रासीदि सोनु गगत कम देसी | घो रहन घोरपरे मोय अगदि परिक ०पमे १०१ तंगी जै०जिम मे जो नियतीने न आए | सी०दिवे मे मस्तके करी ए०ए [स०ए कम मिलीने स० सर्व जजो जन्जो इ० कंगे जी०जीव | लो०सर्वलोक याना०सद ने काले वो बगेमारोगे २३ हनोस सर30 पहजो रूमापरिवारसहित्य मे तन्मय धनवा მოილა दपयंग सेणा | जेभिरक्यंभकाळे व हे २७] सीसेव एयं सरणंउवेद समाग यास चजले एउम्हे जब जीवि वाधवा जोगवि तीऊकोप्पोथ को छन्नी दान माहीनेपिदांसालागे | पृ०सांदी कीधी बा० बांद५० / निन्यसारी मोकलीकी भी मांष ३०नंदो की मुषनि०काहि ८० बानेश मस्त कमरोमी नेमकीक्षा कामकार्यकरिवारहितथया रुपलोदी ववमेताने नीकलेबे जीननेव एसो दिनु मदेज्जा २७/ अवदेशिय विसिनज्ञमंगे पसारियाना कम्म विहे निशेरियछेरु दिरं दमं मुदेनिग्गयजी दनेते २७ तेतेपा०देवीनेंखं नेसा वि०विषमनाथयादि० चिंता करीयकृनमा ३०पनि १० हम करे दीन्हेल्या मान्यातेर्निदोषन दानक लीया कण्काएसरीश उलथायथ दिने मा० डाल एसो सम्भार्यासहित घाम्पारणमो नं०देभगव३३० सू०ज्ञानेक मोटा५०१गारी ३०ऋषिम तेश सिदार प्रियकरुनू दिमणोदिसन्नो मादलो सो इसिपसाए इस मारियान होतंच निंदेवखमादते ३0 बाले हिं प्रतिदितना / जे०जेदी०हेच्या अपमान्यात ०नि०मुनी यक्षगोधमोहिदेयती बोल्यो अजाणते रक्षमोनंदेगवनूज्य कोषको पर्वत नई ००दिमांना गत टेदिंडया एदि नंदी जिया तस्सवमादनंते | मरप्पसा या इसिलो भवति नऊ मुली को पराति २१ दिवाग का मण्मने करीव्यन्तथी दोषमाहरे | जन्नस जेनी देव तप्तेनली ॐ०नि०० पदनिय दिवेदिव्याखा अर्थ ५० 303मे10 लेको० कोइान्यमात्रविल क्षपातक करेगे निरंतरह एप ऊऊमरव | सतीनाधर्मविषविशेषजाताथका नकोपोभूष देव मणप्पदो सोनमे अभिकोश जरकावेयामियं करेति तम्हाऊएएनियाकुमार ३२ वधमेव दिया माथा | उसेनवि जीवदयानी उमारी ३०३माराश०१गनोस०३ / स०एक्नाभिजी ने ससर्वजन्परिनतेम संबंधी सर्व ननथी ते ०ता हो किं० क० ०भोगवो सा०सा अंगममनुभाग जनीक पगनीरजादिक लिमय ेकर ज्ञा (उमेकरुंड वारसहित 3) ऊप्पदन्ता अझेपा एसरांन देमो समा गया सह जगेल अन्दे महाभागा । नते किंचिनमो गुंजा दिसा निमं
SR No.650005
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorGirdharlal
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1885
Total Pages286
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size44 MB
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