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सं॰ संग्रामने विषेड जेजी | एण्जेएकनिजी वैध मानो जीप दार से पते दशजा१शु पताद दिला तेव्हने जि०जीवे आपणाशमानें भटनेजा येतेी १०उत्कृष्टोन जीपहारस् उत्तरायनर तर्जनीयरिसी देविंदेइ एम ३ जो सदांसद रमाएं संग्रामेऽज्त एजिये एग जिलेज अप्पा | एस से परमोज | ३४ (२३४ आपणाला जसे हिंसां श्ते तारो जादु ज्ञानरूपलाई क्रीम | जनीतीनें सु०मोक्ष (घर) घातें करे तुष्पाज्ञानरूपप्रमानें सुनमे एंड् अप्पागमे वकज्काहिं किंतेजके बज्ज | अप्पाणमेव अप्पाएं जता सदमेद
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पेशीको ०को मामान४कारे मा०४कारे माया मास्कारे (निमज जो० जो नकारे चिंदियाणकोदं मागंमायंतदेवनोदाच ० के५६०३
| डुण्जी पता दो दिलोअ ससर्वपणें इंदियादिकजी सोजिम ए०ए शक्ति अर्थ देण्यात ते सर्वजीत तिवरेपचैनान मामनरूपनें मनजीते के जिन्सर्वजी सो३६ निसांमतीनें इत्यादिदेरकारी नो० पेस्ट को उज्जयंवेवाणं सममेजिए जियं ३६ एयमहं निसामेत्रा देन कारणो
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मिराजरुपीते तन मिरायरिसिंदिरिंदो
३१
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| दिने सम्पतनो एजोटे नो० जी मामीनेंस साक्यादि दण्गदादिसुवर्णा दिवाणने दोन | तपतिवारे पढी गण्जा एण्एवेति नि० देन्जेजे सुषकारी हिंसादिक जिमध जण्यतनवि मोटाण्याने देने मनोज्ञकांमनोग भोग दीनें निष्यतीनें खण्देशीय सांभाजीने (प्रतिमन ग्यानादिकजी एएवा इत्यादिदेन का नसादिनलेजले जोइतासमणमादणे | दद्यानुवायजिद्वानुगच्छसिख शिया ३ एयमष्ठंनिसामेत्रा देनकारणाचोइन रले वो० तवति वारे पबैन | देवनकेंऽश्तेऽण्डम जो० जेएको एक स०] माण्मासमास प्रवेग० त० एदवा दातारॐवैतेट्ने विप्र० गावचादिश्रण देता नमीरजऋषि म० बोन्पो २ दलाव गायरानदीजे एस० संजम से० श्रेय इते हने पिाकि नमीरायरिसी देविंदर जोस इस्संस दस्सा मासेमा से गवंदर तस्सा विसंजमोसेदितस्स विकि एमएस/दिदितानेसंजमध्येय ततिवापवैभवन | देश कें०म घो०दो दिनो सेवाश्रम छ० जुने रोष निसांनीने इंश्यादिदेव कारणे दोस्रो मिरानकरीपते म० बोन्पो वर गृहस्थासहीनें प११ ४० एयमहं निसा मेशा| देवकार वो इकोनमिरायरिसिं | देविंदोऽएमबी ४१ | घोरासमंचाएं| अन्नप चंबैले इ० श्रमेरथको नाम पूर्वी श्रमादिकने धर्म वारसां दो दिजो तेथर्म ने धर्मनाथ सिगरे दे० ० शे० यामादिकोसदक मनुष्यनाकयर्थ नि० मते यावर वो इत्यादिदेश कारणे दोघे पोथको । 45 पीननमि बके श्रमस्वनेविषेश्र विपतिर सांभळीने श्रमसमोम नतो नभविष्यति पाजयंति नराः सूर कीराः राजऋषी इश् सियासमं । इदेवणे सदर माहिमपुया दिवा | ४२ एटा महंनि सामेत्ता | देव कारण दोन माता तननमी रायरिसी दे
देता जश्तेद संजन जोश्य
ततिकारेपनी न० देवाकेंद नभिराजकी
इमोमो३३
जो कोइ एकस दशचाप भरने
॥४॥