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________________ तारो भाई मतसंभवादी वैर नाव नमिराजा कथकी संयम करिता खामो आपली सर्वरुछनें विस्तारे भाईनें मिलवाणी सांदोग्राम तेत | नमि राजाविकानाइने थाक्तोदेषी सामोआ बेहं भाईमा दिने आपली सर्वस्थिमें राज्पन मिराजाने देशविली कर्मीय शसी क्षे उत्तराध्ययनट. बैनमी राजावे रूपपणे नसिकी राज्यपाले एट्वेस मे पूर्व कर्म नें उदयथी नमिराजानेंदायन्नररूपतो अनेक वैद्यते उपचार करे विएनप 20 समनदी लीयां बावनो वंदन लेप करवाने से वे एदवे राजा कदै | एबिसी याना षटकावेते मदाऽपदा ते पंरांगी यांना बिजीयानतराया। एकश्बीजि यो मंगली कजलीरायो | सूकमघसे वे रहनेरा जाक है। दिवै समा वकानी थाता तिवारे प्रधान कदैमहाराज एके को बलीयो दाथ मेरा पोवै तेस्था की पटकानीथाई तिवारे जामन में चिंतने जिहां लोऊछली स्थितिहां छणोऽबै कर्म नोबंध जीवएक्लो तिहारे सुबी इंजेनली एक लदाता जीवराजे नाही तिमए कला कर्म इम विमासे बै जोए वेदनान पस मे वे तो दीक्षाले इमचिंतदीजेत तो तजेब मास कीनियादी शरीरने विषेस माधकपनी सर्व कटनी कीनेंशतसमयनैविवेदी ज्ञानी भी चूकेस्तरीयोपुर पतीदीधा तिहांथ की विदारकीहो । वागमेजर बैग एदवेऽव धिज्ञांने करीनमि राजानो राखिस्वरूप देवी (परिज्ञानिमित्ते गरा विश्नोवेसकरी शीला लागो तेनो भावस्वेज एण | इतिन मिराज्ञसंबंधमादः ॥ ॐ कपनीमा मनुष्य उपसमो०दर्शन स०समरी०पूर्व लीजा जान्नातिर्श्वनीस०समरी सम्सयमेव कुण्डतिरोधप लोकनेंदि | મોસ્ફીયર્મીને સીવેજો િશિવનીઝામત નામાનાન્દ્રાસ્થિઈ उन्नोमा एक से मिलोगं भि । नवसंतमोद लिज्जो | सरइप राखियंजाई । । जाइसनिय व सदस् अन्धर्मसाद मोनेघरथकी। सोवतेन मी राजादे देव | ०२०१धांनते मादि / सुंन्जोगीन नीक जैसे नन्नमीरा जार लोकनाभोगसरी लोग रह्यो अंतोनो लोग नमी राजा बुण्तबनो जांएम० भोगप०सजेबेर चन्चवीनेंदे-दे क्लोकधी चक्रदेव लोग नेवि / १०१ यने 50 स्थापी ये नरवराज्यने विषे रेमम्मे 96 विशुरते अनिनि रकम इन मीरायाशा सो देवजोगसरिसे। तेनरवर गनवरे मोए भुंजितुन मी राया। बु-छोलोगे परिचय | म०मिथचान गरी न बनउरे गितसेन्पादाश्रीषमुषमाण चि० गंमीनें प्र० ए० एकतिपय वनमा हिरदे नाथी रागादिक र हितम० को ० विलाप कंदादिर गरज देशसहित अंत १२० स्वजनादिक स० सर्व घरथीनीकच्यो मोक्ष मनोउयज्ञानादिकतेनेनिवेस्थियोगतज्ञ राष्ट्रनो को जाट्लसे-थयो | महिलेस पुरज गव्यं । बजमा रोहंच परियां सङ्घं विद्या अनिनिरंतो गतमद्विभयवे |४| नवे को लालाग संभूया || आऊं तो मि०मिथलान गरीने/ ततिवांरे 10 नन्नमिरानकवी २००द्यमवंत सावधान १०ज्या ज्ञानादियुनो स्थानक ५० स०सकेंद्र विवेपदीक्षाले दाने प्रस्ताने यकी यस्थीनीकलतेइ नमिराज प्रधानपविजनेनावेति वा माण् प्रासीमिदिना एपइयंत मि । तया राय रिसिमि नममि अभिनि रकमंत्र मि५ अधियं राय रिसी पछारे सक्को माद ॥३रणा
SR No.650005
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorGirdharlal
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1885
Total Pages286
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size44 MB
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