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________________ संसारने विषेण्यं सन्जेनलीयविद्यावंत एवमजा एनिए स्त्रीयशदिक एसी बध्यो अण्ड्मनालीने मि०मिनीदलो भूमा तरहितने संसारचे ते संसारमा दिदी माइमा नी परे बंधन जेस्त्री तो मोहते ना आपल पोतानी छा० दिकजीवने विषेक करे संसारने विधे लोदीने १०पंतित तेन एली इंद्रियादिकजातिपामवानो कारण संजममेवांचे दयावाले२ उत्तराध्ययना चुप्पतिबऊसो मूढा संसारंभिअांत गे । शस मिररूपमि एतम्हा सजाइप देव | अपणासच मे सिज्जा मित्रं नू एस कप्पाशा (३२ सुन्दरादिके करी श्रीमालीवार १० अज्ञानी विद्यावंतपुरुषतेऽबनासंभव पूर्व अनंतसंसारनमेंते ऊ परिदनिधीनी कथा | जा० एपरिको एक ग्राम तिदां देवदत्रनामादजिविघरथीनीकली वनकार वीपी में पिते निज्ञान में पेट भरनरे यतः पेटन ही वीटो कुलो निपुणो निपीतो । बीरपां संभरेदी वो। अंतरीता को रीतो शयस्मिन् जीवति जीवति दिशानिजालिब्ध्वा सफलजीवितंतस्प | आत्मार्थको नजीक्ति २ इमते एकगांमनेंसी यादी वैगे तिदेवलकै तिदाएक सि६रुषयागो ते सिद्धपुरुषदा थमादिविमनोकामनवे ते क्यै क्षएकवेलाइदिसामोले काम कुंभने क है दो कॉमघर करोखी द्यो मंजनस दिननो जनआपो जिन था के उत्तारये ति मनक्षणएकमादिमनबित की। सात भूमी यो वासस्त्री संभोग अन्नादिसर्व पदेवी दलिदी पुरुष जइपगे लागो रे मनापन १ गार करी मादरोदरिय जांजि को एक न्मजोगेतेपुरुषने करुणाक पनी तिवारे कदै दोनें 3 कहिलो विद्यायक हितो को मऊंनं तेरिथीपुरषक है। मांद्रेकांमकुं काम | जेथीपुरतरूषांमीये पिरामुकथी विद्यानसाधजे तिवारै सि६१२१ करे एकॉमन जाल वजे मनवं बिता पसी तेजी) मनबंबित नोगविदा जागो | एकदा समे मदिरापानपीठो उन्मज्ञ को माथे वदादीनाचदा जागो / इमकरतऊंन लागणे तिवारे सर्वकदिपानी परेथ यो तिहारे चिंत वैजे में विए पासै विद्या | साधना की भी ततो बजे नवा उपावत तिमांसानो विद्या पासयोग बेते विद्याया करवी परंवरथासाधननकरणो करैतेविषनी परेकेश पां| एटष्टांतः || मान्मातादि० विताए०१| नवनार्या 309110 पोता / नाव न दिसमर्थत मातादि| कु०बेदीतानें नर्कादिकग छवि एण्मातादिकाण सरणनऊ ए०देषेस०सम्म बिछेदेंगे • वि बनाना नादरनाऊपनाते कमक नेता रक्षा करे (बेंस को पोताने कर्मकरीव एअर्थसीकरी गृदृष्टवतो बेनीक्ता सिप ||माटर पिया ऊसानाया| मज्जा रसा | नालते ममता पाटर जुष्पतरस कम्युना ||३॥ एयन सपेहा पाए से सम्मियदंसणे बिंदिगेर ननदोब्रेवु०पदियो परियय ००१० बाली बोक्मा दिक स०सर्वम०ए० काण्मनवंबित रुपये किय २००टहादिक० ५०सु दवा सेबताएकयामनादासी मणिरल कंऊं दापदासप्रभुषनाशे० बांमीनें संजम ककनीलवंत देवता मनुष्पादिपरिव ॐताते१२१४ ਸਰਦ बाजीने नव्हेजीवासि चे०निये दिक हिसिन नकरके प्रसंध्वं धागवात किंजे पसवोदास पोरसं । समे टांच इज्ञाएं | कामरूदीभविस्स सि ए| या वरं जंगमं देव ॥४॥ नीनेविधे मेवेद Ба जनज्ञा ||३२||
SR No.650005
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorGirdharlal
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1885
Total Pages286
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size44 MB
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