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________________ ०वरंश्मो मोहनेपलकारी हादिक खनेक प्रकारे कवितमुदाजादि कार्यककर बैठा | नन्ते विमसंथारादिकना फर्शकपरिमज्ञानवंतने ज्ञानी करे तेन साधूने एभवनाकरण करते कसंसंनममार्गननियें वश्वस्तां दानेतिलाई तिम इन्जिन्साइमनेकी ५० देषनकरे२२ (का०कर्ताशदादिविषया उत्तरायनर फफऊमो युरो जयंत अणे गरु समूदती फासासंती समंजसेवा नते निरक्क्मण साप स्मे | १| मंदाय फासा जे०जेसंस्कृतक्वननादोजादार (E) • मामायन सेवेनदी १० तिदीस जैजो ब्लोटर | मणी परवस 50 रेस्थां अ०] कहा तीर्थकरे ०ध्याजीवनेोश्त तथाष कास्तानेमुहाला फर्शमकर २०निवारको को दि० कारेलो•जोन है रसादिकने विषेमभोगदानो मनन करे टालेमा०मान तत्वनी बुद्दिनी ३० निसार०परपा जलोद शिज्जा तदपगारेकमन कज्ना रस्के को दिए ज्जमाएं मायं न सेवेत पजा नोहे | १२ | जेसंरक् यापरण तेन्ते विरागदो०देषनेक्स एक्तिधर्म नादेन नली के लिए ज्ञानादिकमाल त्रिश्री धर्मस्वामीनं प्रतेश्म को जिमे में श्री महावीरदेवस पता१०ते यस्पाते अधर्म जाए तो कोते १० गलगेदारी नोविना या नावे सानो अंतिम श्वेतपत पान सजतो को पवते तानगेत जावज्जीवलगे नो अर्थमा पहिला मेनने रिषेद्या संस्कृतजीवतव्यमाटेमा वाइपिजादोसा एक गया परक्या। एए अमिलो करके मुले जासरीरमेन सिबेमिखाइति संख्य सदस्यसम्म॥ ॥४॥ | दोवोकोमादरहित संसाररूपीयास गोतमा उतेपदामां दिए एकती ( इ०प० पदेशसा संमे | इस काम मरणमरेते नी ने विम• मोटो ई कितितवाने वरती कि दि० केवलज्ञान स्तरको उपायजे चमेग्रयेने काम कामम नक्कोदिन वरूपी मोटा दो दिलो ते संसार रुपीयोसबद रूपिलीमोटी पक्षाने दनी १०कदेबेश अधिकारकासिम दो हंसाएगे तिलेऽरुतरे॥एगेम दापन्ते ॥ इमंदमुदाहरे ||१|| संतिभेदऽवेशणा | अरकाया || ०कामते अनिता | सनासहि वायरिकीजीवनें | मण्तेवसमरण] पंण्येमित चारिववंत भो भो इतो १० उत्कृष्ट शारदतमररसिमरते उमरलतेपतिमरण अभिनाशरहित अलीवारम तेट्नेसण्डानिलास स०एकदार मवोधाइतेले नवे अंते बालमरणवे निश्चेन्न ततिम मरते बाजार रणोतन्याई दिनमरतेस काममरण मरीने मोक्ष नारेजघन्यूनव | मारतिया | काममरणं देव | सकाम मरणं तदा | २ | बाजाकामं मरणंस इनवें | पंहियाणंस का मंत्र |को सेसन वे३ नवकरे। मतदांतेामर श्रीमहावीर का०कामनोगतेनिये नियतिदिन परे जे०जेको एक०ि ए० एक को एक प्रतिरोड जेल शेख देवे दे०वरू गि०१६ ज०जि० हिंसादिक क्रूरकर्म ६ का शैली माथी पृपदि याराधीनस पो माअज्ञानी कमनेकी कामनोगनेविषे कनाका साथी भृशाप्रापकदि के तोश पिढमं महावीरेएदेसिये | कामगिनदा बाजे । निसंक्रूरा| जेगिकाम नोगे | एंगेल मांगल नक मा० आपा मांदिप०पहिलो नक काममरण बंधीमि एप ली शाश्त्रा उपाने ||३०||
SR No.650005
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorGirdharlal
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1885
Total Pages286
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size44 MB
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