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________________ ६६१०४ | परीवादाल संक्षमा से कवैद्यकशास्वजै० न० कोपनकरे ०आवार्यां० अ०जे पदार्थगम राजा वा यादवा नि。स्त्रीयादिकनीकथा २०वार्थसी वांकुविन समीवेविनीतकि नोग्पतेट्नो जाप गोते लेकर तथ्थानिक शास्त्र जोति क्वने पिएसीयाम देता रायन पलार दिन व्यसन्सदाइ | सहित बेल्ट्यो सिद्धांत सितेसीवे यादरी बुदागंांतिएसया । अतालिसिस्किज्जा निरखानि वन पं० कलकतपासादिक हा०हास्पकी● कीमारम मा०को धादिकने [मित सन्संघातेसं० संसर्गपरिचय लोवेनगोवर्जेर सेजिक का०दो हिए खुले दिंसह संसग्गिदा से की मंच वएर माटोमालियं कासी ततिवार १४ी ज्या०ध्माना कदाचिं कोवनेवसे ननगो१वे आगलक कि दिकश्रावै ए०ए कलीराम हे १२ दिव० ०को बोलोक बोलीने करे पिलाजनयादिकारणें तन्काएराग ॥ २० मालिक ननिएहवेज्जकाइवि कुमक मेशिनासिज्ता अकमंनो कुमित्रिय २१ मा०ग०लीयर यवनीत व०क्वनप्रदेश कि ताजपोद देवीने माजावत के मोजिम असवार नोमन होवे अगुरु वांचे जीवजी तिमा निमज्ञातवंत मो सवारने ना देवा जैतिमविनीतशिष्य १० सर्वथा वरि२ नाक्वन मिछेपुणो णोकसेवदहमा इसे नीचे जो लीने प्ररूनेनावेविरे पावगं परिवत ए १२६ मिल्कोवर दिन जेरु इतेनें चि०विनिशी १२० दक्षविनंनर १०१संत करते वनीतशिष्450 एवं०को धी०करेंसी अशिष्प दितकार्यनीकरण हारएणेकरीसहित प्रतिको धीरुवि१२ पास राष्ट्रलच्या कुसीला मिनविर्वमंपकरेतिसीसा चित्रा एकटयालऊ दरकोववेया पसायएतेऽरासयपि‍ फसा सिउन कपिना रखेति सेवेज्ज घरमा रखे का०१थमशेरसीपमु चान्दोने अ० सिद्धांत नलीनें बयंमाय आलवे का यय दिज्जिता क० कीछनेक की थी एकीछाने इम कदेनो● मैनकी यो भाकरई छोमानी परेक•ताजलारूप |१२|| मागलिटास्सेवक संविटर नोटा करणारयू अति बीकु० मा चारनोली अश्वंम ज्ञवार्यकथा | उजेली नगरीये वे हरु दशवार्य बीमा से रह्या अति रीसायो बोज्पेघशीरी सव | वा महात्मानेंद्र कुमेराश्रयराध्या जो | इसमे जार हो तो रखे गुरूनेरी सर्वदै ति ने अवसर किया टीकव्यवहारियानो नव परपितसा जामित्र ने परिवार परिवस्पोथ को | रामतिकी का करता जिससे जतीयणा बेगदी गति हो या वीरतेने सामिवे को महात्माने एम्सेदी झालेले व्हतें दीक्षाद्यो तेहने साईको चन्देन जांए पुरु जो तो आहे शादनें गुरुदेपको विरुदेवाचा तिन्ही बांध जिसानोदस्यो | नगवन् दीक्षाले दासा मिसदारेवारको एतबे पुरु ने रो सकपतो तत्कालप कमी लोन की दो । एदवे सालानुषमिवतातेविषाद देतोस तांको थे। पुरी सबसे सावो को तिवारे साना ॥३॥
SR No.650005
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorGirdharlal
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1885
Total Pages286
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size44 MB
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