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________________ मांदोमांहिगाली दीदी दरबारेगया साकार ने रोक्यो । पबे संभास मे लोके या वीबोमयो रुपीयावे मालागा | हवे अकस्मात् नगरने परिसरे साथजीम तोक्यो तालो साफ मिलवाजमा ईच्छा | पंगेजागी मिली पावोसाथ मां हिना वालागो वनतीसासूक दिवा लागी जोडता व जोतोसी रांवलीकरतोजा | तेज माईने उताव जमली नेनरतारनोभाग राष्पोऊं तो तेथे दरस गलाड़ी स्पा जमाईजी मनिसाथमा हिजई मिच्यो । एह देते दांलीयो बूटी संध्यासमेजवानी वेला आयो। घेतजी मस्से एहवी यासा करतो | जी मागे ते दवे ने वो सदा जी मी सेते दव जी नाडीस्पो तिदारे वितमो एस्त्री विवेकवंत प हिन्दुमी मेषशयतो रषे अवथा मातोभूषो वै तेमा टेनीस्पा १बेधे वर घी सस्पे। इमविचारी सी रामो लिगारेथ इक्शिर वालागो दजीये वरस्वीन श्रीच्यावती तेस्पो कारण बीजोयो | नेमे आजवर कराव्याहताते किव्हा कांडीसनीनथी। तेसाजीरी को मेतो घेवरमो कला की छाता के तलाएक बो करोशधा केतला एकमेवावरचा उमारोजागरा को तो ते हवे जमाई १६ास्था में सीवी करिया बेसा स्पा जेघेवर मारे निमित्तेराव्या अंतावेजमाइने बास्पा उमा ज लोग नाव्यापिएचा पीली मांतरही तेथेवर जी मीजमाइदिमाजगया। बची का दिया मोकज्यो जिमछेवर करी समं वचन सोनी से वना मन में विषादक पनो घरथीनीकलीगा मदा दिएकटक्षनेत नेक मोरहि विचारे मेतो तरणीनो जीटी करी घेवरकर या पितेद्दनो कट को मुकने न तो नें पानोली के वनथ्यो। राजानो मे सो एहवो चिंतदेवे एहने एकसा जातोदेवी हेसास दौसा मोच्यो तिांसाभूदिसा मोली मेववितारदेवी साकह्यो चिंताजर किम वि वै। तिवारे सेवा बिलो घेवरती सर्वचतको निवारे उपदेव देवमाचो देदेवा इंडियसंसारमोदिनो बाजे ( जेल नकरी प्रलीनेंगे अनेक जन्ममरण तला | मोटाइ नो सानो उपदेश दिएनेद्यो विएम्पऊ पतो तिथी घरेज कबने कहै। अहोसज्जनोहाटे दिजकस्याजदरानदी अम्हे देशांतर धननर्जिवा जाती दिनमासे सुक्ने मिल्साबै | तेमादिलो एक पीजीआपी इष्टकामे पॐ चामे अनजानमांगे बीजोमा पारीजानमागे | तेमारसाए महापुरुष सार्थवाद समाननां लदा पंचम दा कृतरूपममोपगरण आये ते व्हनें जतने शिवनिरूपदपाल मामै । तेनणीसानो शिष्पथाईश इमबलात्कारे सर्व कदंब समभावी दीक्षाजी श्री विवेक आदस्यो। मायान करवी इथाई एहितीयमारमा । सम्पज्ञानदर्शन वा निधुनेकरीता सर इन्द्रलोकविषे दी०जिमको एक धातु र वादी गुफामा दिदीगे स्विसहितमोक्षमार्गदज्ञान एर्मनोलो गद्तीन अथवा प०पर १०वद्या येथ के यतिमसम्मतरुपीय रूपी यादी दाथीदेवीने पिया देपमादनंत जो हविषे दीननाथ के अ० मिथ्यारुपी यो धारोटार जीवने 40 जुलादी गेजथायथ् विशेषताएं नलने एमत्ते| इमिनोएडा परचा दीप एणदेव तमोहे से आ जयंद हुमन्द हुमेव वितेल० विज्ञतेारज्ञानोकर हारनदीतेन परिदृष्टांत कोएकन गरे। भदसेन राजाराज्यकरे तेराजा नोएक५३१रंमाक दिसनी एकदा र किएदी कम त्सवे राजाई पदोन जामोपुर @दिसमवेयायो नगर मां दिमतरद| जेरदिसतेने वोरावस्थे एव सोनली सांजली सर्व जनपुरनादिस्यामा | पिल पुरोहितपुवमादेकरी राजानें संगेकरी वेस्पा
SR No.650005
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorGirdharlal
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1885
Total Pages286
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size44 MB
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