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करीन सबै जिमते ताल चीनरतां दो दिल्ली अथवा एकदा चिनाई परंमनुष्यनो जन्मदारको वजतो जहितां दो दिलो एवी जो दृष्टोत जाण बोर || ॥ ॥हिंने दोथो ज्वानो दृष्टांतक देवे किए ही एकनगरे राजा राज्यले तेट्ने घीपुरी घावजालीतेमां दिवो राज्य जोगजांणी कुवराज करी थाप्यो । राजा राजस्व जावे। इमरती छोका जोन्स एकदाराने विषेसतो एवम सामाना मनमोहक पनी अहोमो हराना ईछा राजाजी नजां लीये केवलाकाजराज पालिखे कालंतरेसुनां ऐका इस्पे राज्पकनें स्पेकिंदा नदी ऊस्से तिलकारण दिवमांतीसमर्थाइ राजाविलासी ||राज्पयेतो जलोइसोवितविषनाते अत्तरमनानामिवमीच्या नोच्यो या १ पेराजादि भी राज्यजी जे | तो मारो छ मारो मनोरथ १६वे एबवेक हो अंते कि ही कोकिलादीनां क हो । कोइमध्यस्थ रह्यो। परंथले कोने वात पतीनिमिर है यतः कर्णेनियमंत्रः करोनि निद्यते हि कर एस्पिपिमंचस्प तुह्माष्पतंनगछति तथा कोईराजाना9 नोखनऊं तो तेज इए जानें करो | स्वामी अमारो दम मनें सिक्के है। इमजलीसा |यांनरदिज्योतिहारेराजाईमनमादिविंत | ॐ कपरिमुवोन विंत है। बोरुक्क बोरुवै परंमा विक्रमादिनवै परंपरामा नो पायकरीये!! + इस वित्तवीक नदी सनामंगावी तिलिस्थेने एकसो यष्टोत्तरस्थान कराया (केस्टा ने घोत्तरसो हांसी करावी सनापूरी जावे तो अपजेत नाऊं लातेत जाने || माहीसिहांचे साचा । तेजश्मक हो | माता पिता ने बोरू सरीषां किसी दामी शेष किसी जी मी | तेजली ऊंराज्य वेदने थाप मुकने प्र मतांसानो दाना तो लगताए कसो होशरदान एम एतले एक सो क्षेत्रर दासी जीती इमली जो स्थंभ एक सोलर सोदान पंतोजीत इमती जो चोथो । एकस्प्रेने एवं होत रसोस्न जीता ते पुपने राज्पदे सुं परं ने एक्सो सतोत्तरस्थंभ जीता। छोत्रर से मानी एक सो सा तदां सीजीती एकजी पदाथी या के। अनेदान ते |दनोपमै नही तो भूरिथी दान मांहिक। इस परितेरराज्प खोजतो हाथनांचे परिदारबसेचो सदा वसाम वा क्रिम पमै । एगाढा दो दिना श्री रुक है। कदाचिकिएादी देवा भावे राजाने जी वी राज्यव्ये | परेराज्यसरी यो मानुष्यमवहारस्योपमादवसि तेवतोजदितांदो दिनो नांगो एवोदृष्टता जांणदोष दिनेन मोरलदृष्टंतक है है । जिम किए। बीकनगरे कोई व्यनदारी दी। धनवंत व सतो ते हनें एकरल टाली बीजाहिए दी कि मानोत्पा ||धारनथी इम करते प्यारल एक गहरी एकाही नरी जिद पे दी समे बेतिदांपत्येक नाद्यायानीवनभूमिगतिनिधान की किडे तेरत्न सघ लावऊमूल्प परे किए कागजकदैन दी जे का इंते हने जो गये तेसल गंधमालादिक आप पर विस्वासहिादी नोन करे इमजाले जेरलनोभेदक दिसतो एदी करा सर्व र लया धापा टाकरीषस्व स्पे । नगरमा स्विट्टेसलाई जिदश्लोक मिले तिहश्श्रेष्टनेत नेक है। छो धननोस्पो फल कोइ व्यापार करो कोइ जाणे नही | सर्वनी मणीसरी अमारी संपदा को इवां गोश्व जादोनदी को साथ न जावो नदी किरा लाव नदी नदी तो रेस्पा व्यवहारी या जिम श्लोक ६मक है। मिश्तेदा9] यार बेते मनमा दिपीजै | आहे कि करूं आम्हनेपिताश्न देशमैनदी जंदेशा तोमे व्यापार करूं देशांतराने दोन नावं अन् सह को जांगे मां विद्या जाऐ | राजानमिसियानं परं किमकरूं जेयन्दनैपि धनदेयमैन दी। इमचिंतन तां के तलो कालवी तो | तेलले किशाही कनगरथ की। सगानो कागजया मो तेमादिश्मनिय अम्हारे 34 बै जो