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________________ संवत १० अमोपिल श्री अनादिकाननधी अष्टी काय स्थिति । आण्डया विकही तीर्थकरे उषानी मोसे दिया दिया आउहि |७०र्वको ५० रुविषयकी घुरन वलगेलिपसकपरिश् कधर्वको उत्कष्टी 胆 शर्तजन धन्य ની इंथालयांत तेजहन्नियं ८५ विनंति होते की मी पुजते अंतो मुरंजदत्लियं । | का०काय स्थिति प्रांतरी मेजव१लोपोनवानी का कालमण्डनं तानों 6 दिबांथ केस०पोता | थव्थजवर थजवरजीवनें तेते एसजीएग कहिस्पतेतली तरोपमै 90 कष्टो नी काण्थलचस्नीकाया नेएतजेव कायश्थलयाएं अंतरं ते सिमेन वें काम को अंतमुरंज लिये विजदमिस एकाए|थजयरा एटावर जीवना गंधकीरणरसा से संस्थानना ॥ भेदन०बर्लाकी कीफा फरसथ की खाल्लेदय की विल ज०जघन्य 69 ८६ हि० स्थित श्री सानो थाइ तिवारे साप्रादिसदित अंतसहित विबै ८४ पवल्पोपमति बिहानी नज्ञराध्पयनटव संतपण गाईमा अपज्जवसियाविय ६ि६१ हुन्छ साईया | सपज्जवसिया दिया ८४ पचिवमा तिब्लिन हिपस्थिति ((२३८) | १०१पोयमति थथलवर નીરની उत्कृटीकाय स्थितिविधकही तीर्थकरे संत रोप उतरं अंतर्मु हर्तजन्न धन्य G4 विभेदनासन्स 116911 विविध र सफास संघाणादेस वा द चम्यांमचिमीमुषांममीसरी बीजेह | त०बीजापंथी सभा दमानो ट्रक लोदीधोई विषम कमी सदाईर देतेदित १००पी०च्या नी पांच जोन्वनिविमादिकलोमधी तेसरीची पोषकतेस मुबीन उपक्षेत्रबातपंथी मनुष्पक्षेत्र वादिरे बो० जीवा रेकारे। विविदारणा सदस्य सो मेलो परकीयातयामा परिकलो हिरक विययपरकीय बोधछा। परिक्लोय ४५ नोन्दनदेराजलोकना एण्एकविना न०नथीसग देरान जो इ०एक ह्यांपनी का तेतेपषिनोनु कदिसं | एव. गर्नेविते ते सगलाई कमादिविकल्ह्यातीर्थकरे (काजनो वि०विवार च० मारेकारे विदा/दर लोएगदे सेते सधे | न सविया दिया। इसोकाल विभाग तेसिंदुच्छं चदि विलनथी हिस्थितपण्डश्री सप्रानपोथाइति करे सेदीता प०प्राश्री २० नादिकाङ्क्षाले दमो संतपप्प लाईया। अपर मोमतो अध्यातमोभाग ०-प्रापानीaिo स्थितिख० पंधीनी भाण्भाग २००० सायादिसति तदितविलयर नवसिया दिया | छिपहुच साईया | सपज्जवसियाविया (७१ पनि क्रस भागी असं खिज्ज इमोनवेदयां ||श्वना
SR No.650005
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorGirdharlal
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1885
Total Pages286
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size44 MB
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