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अनादिका कालनोव्यण्क बनीए०ए
अ०मोदनी कर्मरक्षित हों शश्रवरदितथा इंज्नेक अनपोक्षयऊरंथ के मो० मोक्ष५० | सोते मोक्ष नोपामलदारजीवतन्ते सव जेण्ड नितरायकर्मरहित सस्वस्थ पोतेक रीज सहितको पामेसु० कर्म रूपी व्यामेजर हितथको १० सर्व5054 नोनू का वादा स्थाई बीमा प्रमोदले दोइ निरंतर | शासवे ज्या एसमादिकत्ते उरकर मोरक मुवे इसको २० सोतस्स सचस्स स्समुको जंवाद रक चपलैस निरंतर दी० जीबीस्तिनो कर्मरूपीयो | तो०तिवारेपनी होण्याई असंत ज०जीवनेंमेण्एष रोगते व्यकी विण्मूका लोते १० घोषी क०की सर्वकार्यजे सादीस ले पससवा जोप एजेसिया ११०सययंजे उमेयं दीदा मयविमुको पसल तो होऽचेत सुदी कया ११० अकालप्पन वस्स एसो ससक्समोर विण्कयो भगवतेजयजेद्देषरहितमार्ग/ कण्डानुकमेधणे ति०श्री धर्मास्वामीजन कि देवे देनेह जिम मे श्री महावीरदेवसमीपे सानो तो तिम ससम्पवकारेपांमीने सजीव सुबीना प्रतेक तीसमा मेनने विषेश्मा दनास्थानक कह्याते मादा कीजीव कर्मांधते नली रक मग्गे | विद्यादिजं समुच्च सत्ता कम्मेलनंत सुदी भवंति तिबेमि | १२२॥ इति श्रीमायणीसम्म सम्म तेजीसमध्येनने विषे कर्मयो० श्राण्यनुकमेजनज जे०नेले कर्मे करीव आकर्मनीकृतक धर्मास्वामी करे बैकर्मतिम નાનો ગ્રહની दिवेळे 7 अंक दिस्युं जीव नेवादलो देण्दनिकरतोदेषवेोतेहने कम्मा
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नादिया कर्म नाना मकदेवेना०ज्ञान १० आवरेजिमसूर्यनीकांत नास्सावर अंतण्यकर्मने मारनी उपमा तर तिम
नमेर दोधामि आदिक्क्म | जेहिनोत्रयजीव संसारेपरिवत्र नानामकर्मने चीतारानी उपमाक्ष्गो कर्मनेऊंना स्नी मा नामक मंगोरांव अंतरात देवय मन पर्यवज्ञानावर ली४० केवनज्ञाना चरणी पाठ
| हकेतिम वावरेदां केततिमते दर्शनावरणी वेण्वेदनी कर्मनेमक परम् ज्ञानावर कर्म नेपोलीयानीमाया मनीचे मा३३० तिममो० मोट्नी सीकर जिमपाटोंमोनीमार कर्मने मदपानीमा रणिद्य सवरतद्ग ए० एलेषकारमेव
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एवमेयारेकम्माई आहे व समास नादरणं पंचविहं सत्यं ग्रानिलि बो दिये| उहिना चतइयं | मण नाणंच के व
प्राक मनेरमनी मातमिर
विजित दामोदं । आाउ कम्मं तदेवया कर्मस०संक्षेपथ | नाण्डानावरली ०सियांनावानो ने शरण ऊईते श्रुतज्ञानावरणी जेमति कीजादा कर्मयांचे ज्ञानने वरेश्
श्वधज्ञा नावरण ०. जोर
स०सर्व 5054नो १० का विदानो