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मोगाश्री देवी वालकरोवे दीनवादी या नामांत छानदेश दिए। एक बाक श्रेष्टदीक्षाने ईकाल की देवनाथ यो ज्ञांने करी जोयो एपार लावतो मानबोधदेवी चिंतमो कि मए बापमो को एड्वो जो लीन बोरीमाईने कान लीम लोदर की धो। तेदेवता वै रूप श्री तिहांच्यावरी इमक है। ऊस |र्वरोगमा एट्वेज जो दरीतेवेद्य में कदै मादरोरोगउपसमा वर्तवेद्य कहै ए असाध्य रोगमुक थी न पस में | तो दीजो माहरे साथ हमे तो विकित्साकरूं तेऽर्लन दोषी तिवैद्य नोक्वनपमिवज्यो | रोग गमायो कोथ लोन पानीसाथ ही ते देवता मायाइयो तार की थी। नमतोने घरे तेहवेसा हृदेवी वैद्यवेोज्यो। बूंदी झाले ईश ते ऐना र नागे कर द्योतेनेंदी ज्ञादी वरची देवता गयो तेले ऽर्जन पाथी दीक्षा पलै नही मेषमूंकी बाभी गयो। वृजी देवता तेजजलोदर विक समायक्ररीदी क्षादीवर सवी देवता धर्म स्थिर करवामली संघातेर हे ति हो एकदा तिबोधाने देवता बनो भारोले बलतागांममा दिपेस वालागो तिहारेनबो साधवोन्पो
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पूर्ण
वजता गांममादे नानासहित किम पेसे ते देवता बोल्यो पूर्व जेनली कोधमानमाया सोनादिज्वलितटस्थ वासे 3ऊ नेवा पोतो दीपावली येसेो वली एक दाते देवतापंथ की कोटानी वाटे वाजवा जागो। तिवरेते येोधीको अरे वाकी र कोजावीदेवताको | सारसंजममार्गबांमी असार संसारने मार्गे जायेंगे। क्लीदेवता एकदेव ने एक्जक्ष जीतो तो पते देखी नवो भी करे। एसजीतोवंशेष हवे देवता को तो ममाधम जे जगदाबांदी जी तो तो वनीश्वाविधीपरवेटांतेऽर्जन दोधी हक मौर्जन दो वीदेवतानेंक है कुंति होदेवता श्रेष्टनो स्वरुपको अर्जन दोधी कदे को ईटा रिनांए बैतिदांदेवतानामाकृतसुंदडीयादिषा चैतेदेषताऽर्जन बोधीसाधूनें जाती | स्मरज्ञान कपनोतिवारेपनी हासि पाप संजमने विषे सावधान हवं जिम जेले पदिनी दावि ऊपरियतिकरीतिमन करी पत्ते की वीत्तिमकरवी इति ॥
| संजमनेविषे अरतिकृपनाथी सीनोपरीस (जा०जे तो • मनुष्या (ज०जे साधूनें एदवो जालोदो हो प्रभ्वो | एलीयरेसीनोव १०8 गोमीनुरूप जवानो संजयते नलीखी नोद मोपी सदक देवेसं० दिकलिलोक मांहि ३००एसर्वत्री नादेपले ततेोजती रुपमतेजांली ने कर्दमसरीची ता भक्त था बानोदेरसवनीक एप दारी०एसी) ३० स्त्रीदेवंगनादिक १० सर्वश्कारे जोखीने खांदे सा०चारिवर नेमे बुदिनंत (रहिवानो कारण 50 संगो एस म एक रसाएं। • मनप्पन जान लोग मिली जस्सएछा परिन्ताया। सुमंतस्स सामन्नं ॥ २६०३ मा दायमे हा वीनू क एनो तेसी संघातेश्वज्ञनिवि०) ३० यावरेधर्म संसा स्त्री संजमजीवत व्यनदगो नहीं रथी छात्मानोगतार हार २७ मिनोताहिदिन्नेनावरेजत गवेस|१७||
अथस्त्री परी सद्द्दष्टांतः यथा जेथनाते सा ते सिंनमो लेखकज्ज पहिविरया धीराचरम सिहारे वारंतिजदथूलमुनी राते यन्य साधूनें नमस्कार दो जे कार्यककर्तम थी निरसाहसीक धाराऊ परिचालतानीकरित समादरे जिमफूल नस
|मावस्यक है पानी नगरनंदराजा समाजमंत्री हिनायता देते नोलन श्रीयोश सेना प्रमुष सात बहिनाते लेनगरे गुणनी