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________________ | ऐकारलेमो दो सीधो एयारेसाधूमर पोमीदेवता श्यापि अमीन सेवी जिमएचओ माधूसीत परीसद्सद्यो | तिम बीजे महात्मा सीतनोप | रिसट्स दिनो पि अग्निमेववी ॥ ॥इतिसीत परीसदेव साटांत ३॥ सीतकालपी उष्म काल वेतेनली १० बाह्य परमे वो अने मैलए वे घिन्नंना जेवायथनास सा०साता नोन्नवं मनोपरी सबै प्रातपेकरी अतरपाते दथी कप रदरिञ्जनेविषेय तापेक बेजेकही इंसीत चंनी भूमिसिलादिकने पन्तापेकरी नोदाधज्वरते लेकरी १० वीचो वाचोयको तथासं उसिएपरियावे परिदाहतजिए| घिसारितावे || सायनोपरिदेव गा०शरीरतोοपां न० वी जगादिके करी लीनसीचे स्वयमेववायरो नघालेल नो विपत्थए| गायतो१रिसिवेज्ना | नवी एज्जायामये नव ज०उने तापेकरी ० सिन अत्यंत मर्या स्नान दावंत साहू नो० | उल्दा दिततो मे दावी सिगा परीसरात नगरीति दनांना केलीयो तेहनी सखीना अरहणकाट्वे मित्राचार्यपदाचा तेने दो दवासकजनो का व्यायरे धर्मदेसनादी धी| संसारस पनिपजाली दत्त श्रनेनानकस मिनी को मिषरची सीहमी परे चारित्र जीयो भने पिएमए दो नावे | मनणावे पोतेगोवरी करे। मथ की नली वस्तुसुंबी मुली पोबे पोते निरस आहारकरे कि वारेमहात्मा कहें पुत्र ने गोवरी पांगरा दो जमने तिहारे देवेयाक्व लाभ तिवारें साहूक आग वा दरिलो छा से मकरीतेनें सुबीयो की धो केतले एक दिने दशनार मासाले ईसी तिवारे करोदा लागो माता नाईसमका मो मोदकर वो युक्त नही दियेपु रवि गोदरी मेले नही। एक दासाधा साथ गो चरी गया कपाते। ऊपसिनो ताप देतेवेत ते लेता की पर से वोट ना दिपी घोघको एक शवासना गोपदेवजी वायाइकनो रह्यो | तेहवेम वदारीयानी स्त्रीदेष्ो गोपेर दी थ की दासी ने कही घरेको लामो सीमोदिकने याठी पिलरूप देवी मोदमीने व कटाक्षे हा बना वक रीकामक्वनकहि | कालागी | माझ्9 एपे मारो मनथ्यो । प्रायन यात ग्रामन आघर सर्वत मारो है ॐपि उमने |मकर क्वन सांजली चा विनावरली ॥ तिदांरह्या षट्ञ्जनामुपभोगवैबै साधु पासे याची कक मोतिवारेक देन थी या मो| साधना योविनला धो नामामुप श्रई ता |न्नक्तलायो | तेल्मो हेगहिली थम रहन्नकश करती दिचरे ने। तिहारे बालक कदे ए अर्दन्न कतिबारे वस्बर दित दोन मचारमेवस्स | तेलीसेली नानी कली बनजाएं लोकबै तहां बालकांने सोरेनाग हिली विज्ञापकरती | अन्न करमुनापती गोमेवे गंदी हो हियेविं | तमोरमाहरीमाता है मंागीयेमा तातेंऽपणी की थी। अनेन र्क नो पोका पेमचिंतन गोषथको ऊतरीने माताने बोलावी दन्नकए | वो सांजली हीया बार चांदीनमन व ममो वा ददावी स्वस्थ वितथ यो मन संतोष कपनो माता रेवेदानें चयेो देश कि हंतो तिवारे
SR No.650005
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorGirdharlal
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1885
Total Pages286
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size44 MB
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