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________________ जाग्रात्मावे जेनो ५०धर्म रुपीया तीर्थ तो तव ते नो जो सर्वलोकयलोकादि ०सी०शिष्य के० केजी कुमार वि०विज्ञान नचावधि | ससर्वपदार्थ मोजांए करण हारजिन जिन कना १० दीनानी परेका कानी करण म महायशवंत स。श्रमात पस्वी विनापागारगोमी (ज्ञानसुम उत्तराध्ययनबाबुप्पायसद्द धम्मतियरे जिणे॥ २॥ तरस जोगवस या सिसीसेम हायसे | केसी कुमारसभगे विन्तावरण र २ दिना ते श्रुतज्ञान ए‍ज्ञाने सी० शिष्यना संसहते ग्रामानुयामरी० सा०सावळीनगरी सिं०किनाना सावजीनग का०कजीव रहित से उपा | करी बुज्ञान देत ऐकरी सासहित परिवस्था विवरतोथको मार उद्यान रामं समीचे आनेविषेदिक नासंथारा एफएबुदे |सीससंघसमाजले गामा एक गामंरीयं ते सावचिनगरमा गए ३ तियं नामद्याएं तम्मि नगरिमंजे फायसेज्ज संथारे॥॥॥ नविषेशतां छनने (अहिने ते तेरज का० ५०६ पीयातीर्थना करण नव्नगवंत व बर्द स सर्वलोकमां तश्तेद्नो जो सर्ववरक्त लोकालोका विधेासमु०रोध कालनेदिवे हारजि० रामादिकजीत्पान लीजि मांनएट्नो नाम हिवि०सिप दिकना१०दी दानी परेको छानोकर कसा गए|४|| दते वकाल|| धम्मतियरेजिन भगवेक्छमाणोति सहलो गतिविस्फ९|| तस्स लोग पश्वस्स हार तेनो प्रदर्वसी०शि०भगवंत गो० गोतम विज्ञानवन्नारि बा०बारे अंगनादिजष्ठां सि०मि० समूहदा गा०यामानुयामे से तेविल व्यमन्मदायशवंत ना०तनाम ना० पारगांमीद बाजोपनेादा योग्पतेद्ना यतेोकरीस०परिवस्या (स०विचरताथका सामसावळी गामंरीयते । सेविर सीसीसे मव्हाय से भगवंगोयमेनामं विज्नाचरपारगे ६ बारसंग विना सिस्स संघ समाउ | गामा नगरीमा को० कोष्टकनाट्वे | तेसारखी फा०जीवरहितास कसे सपा तति होदा कसो श्रामा१ नामे उन्नयनयन गरीने मंण्समीपे टश्वसंवादिकनो संघारी रदिवो कंम्पोट | सावचिमाग 9 को 5 गंनामउद्याएं | तंमिनयर मंजे फाफ एसेज्जसं के० केशी कमार गो० गोसRROR दाजसवंत सम के सीमा रसम गोयमेय महायसे विक्रेषिततेसा अमनक्वनका यानायोग् वजीनगरीतेविषेदि० युशनेविषेश सुन्तलीस० १० दिन के सीगोत मनासिशिष्या सं०समूह रे वास दाग ए संक्तेशिष्यसंज ततिहांचिंग तचैतते तपस्वी चिंतास क बैतेट्ने ની सिस्स संघाणं संजयाणं तव स्सिणं तखविता सप्पन्ना गुणवंतालाइ | १० के .० गुणवंतने ता कायनारिष्य पालने२० के० के वो कण्व विवस्ता समायसहित | उन वितविहरि अली सुसमा दिया | सी०एच म्हसंबंधी २० गोतम नाशिष्मनो५०६०वार सानो १२०० संधी याचा वजी ०० च्या रमाबरून जे जो० जे०ए ५०५ मा तादिकमादक रूप के के होने किया ते दिजस धर्मविवसि साथ तेबीजाजती संबंधी किया श्रीपार्श्वनाथति किरकरे महा | रिसोवा इमोम मोम्मो के रिमो प्रायाम्मपसिद्धी वो इमादा सावकेरीस १२॥ चाउलामो य् जो इम्मोजोमो सिर (69) ||G१||
SR No.650005
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorGirdharlal
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1885
Total Pages286
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size44 MB
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