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________________ Q4 ओबोमनाथ समर्वभूव जीवना संदेसेज सी जाय खाऊंमतेक ६०प्र०सीवोमा प्रेम महाभाग्यवंत सीमामा बेटे अनाथना धर्मध्यां पातंसिना दो अदाएं सहया संजया | खामे मितेम दम्भागा। इामिण सासिय ५६ | किए का ननो विविघ्रात जो निमकीन होतं ते सर्व समस्त के करीनमा एमएली परे स्तवन स० ते रा०दी जाए अलगारमादिसी०सीसमानते जेक की क्षे संजती रंगनोदी सादिहेतुमे●मा दरो पर सर्व५१ जागांदसी०सीट्समन श्रेलिकरामा सेव उत्कृष्टरीत नोकरी एविग्घोन जो कर्ज | निमंतियाय भोगे हिं । तसचं सिर से दिमे । ५७ । एवंधु मित्राण सरायसी हो । अलगारसी हे परमायनत्ती ए |सण्यंत पुरसहित सर्टबसदित) मनो रक्तथ को विनिर्मज मि ॐ हर्षकरी विकसा क० करनिं० | १०५रिवारसहित सबंधवसति ध्यातरदितवे० चितेकरी 4G रोरो मयनामूल प्रदक्षिणा सर्जरो सपरिट लोस बंधवो •वादीनेंसि●म स्व के करी अन्योपस्थानके प्रेलिक राजाप इन्दरीजो पिलमुनि गु०ले करीन धम्माकर तो दिमलेल्वेयसा ५८] उससियरोमो का ऊपयप याहि अभिनंदिऊपसि तिवलितेश तिवंत वि०पंदीनी परेवि० वि०क्व०१६ मा दिदि ति विपद्मश्री वि●निक्स प्रतिबंधरहित मोदितकेन जीनें रागाउन राहिवो पर इयरो विद्यणसमियो तिती यत्रोतिदंश विस्य विरंग इदमुको विहरश्वसनिय तिοश्रीधर्मास्वामी स्वामी श्ते को अहो अजिममेश्री महावीरदेवसभी सातो तेसमा पानगरी अमेन विषे अनाथ लोक होतेय नाथलो बांहीनें मोटा निबंधने मार्गे वाजवोको तैखीयादिकर निस्थानक सेवा महा विषेपाया नियंथपणोवैतेश्वरी समानने विषे निस्थ समुपालनामा मुनिक्विस्चातेसंबंधकीये ६० इतिनाथ मनिग्रंथ जितनामा मोहो तिमि ||६|| इतिमहा निययिन्का वीसा ॥ २॥ श्री नानार्थ संश२० म० श्रीमहावीर सी०शिष्य श्री महावीरदेव तो समाया नि०निषेधसंबंधी पा० साण्या बुक सेन्ते दिन विशे पोचाइले करीवण्याचा वि。विम भगवंतानी माटेशियसो ते १० दांत आत्मानो वतिने बेकी०जालविव | करतोय को नगरेम एयासीदा लिए मदावी रसभ ग व सीसोसोन महणणो १ निग्गंथे पावयले साइए सेविकोविए) पोयले व्यहरते विमा प्रमो वि०पिॐ मन गरने विषे वया वांती दिदि तंतेस गर्नसहित स०आपसे पोताने देशम दिपा जित [स०स तोर पार करतात ते पालितनें बेटी गिलेईने हिदेपा श्रावकनीघ०स्वी महि नगरमा गए विमेववतस्स | कृणिउदेश्य चंपारा पालिएनाम | सावर aiefta तंससतंप गिज्क सदेसमदपनि ३ ग्रहण लियस्सरणी समुद्दे ५६ १०१ वी 80 में चुकनें सान श्राव तो कआ
SR No.650005
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorGirdharlal
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1885
Total Pages286
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size44 MB
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