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________________ जातिदांगोऊन मोदि एक गायनोराबोरुपदेष सीट्यो | तिवारेगो ऊलीने को | एदनीमा तानोऽ६९दने दो वलीवर पिल४५ वो |इम कह्यांथी केत लेक दिने । मदोन्मत्रदेवी 9 सीथ्यो। इधमा सामसोनामदी । छणे का ले गयेनजराईमा बुदीना मृग जो जरा कर उत्तरायनरावानीशक्त मिटी वेदेवी राजाने सूजन वैराग्य जाग्यो अहो कालरूपी दम्पो ए अवस्थाका रुपनरवोनिपजावे के तो इसंसा | मोदिधर्म सारवैए वो अनिलो जाली पोतेसम की प्रत्येक बुझिदीक्षाने इविहार करे मारे पत्येक ६ए के स्थान केते संबंधागे कसी इतिकरकं प्रत्येका ||जोऽमुपत्येक बुध्नोसंबंधक दैवे भरथक्षेत्रे पंचाल देशे कंपिजपुर नगर | जय नो मारा जाय रामाला पटरी पी एट्वेस मेरा जासनामा दिन रितवै वो तिहांनिमांने करीबै/ही जे वो मा दरो राज्य यो नै तेहवो बी जानोगेन तेणे सर्व सभारहाणी तिहारेएक इतक है। दोरा जा तादरेस र्व बैक्एिासनामं6पनदी । तेक्वन सांभाजीराजामा धरती बताएंंव मे दिन मुग र रत्नश्गररत्नश्गस्थ यो तेसनामं१निपजावी भने मस्तक ऊ परिमु गरी सनाइ बैगे तिहांनगरना अनेक नोकजोवामा तिलमुगरनी महिमाथी दोयम |पदी तिवरेलोकेऽमुदीरा जानां मदी धो एट्वे समेऐवंती नगरीवं द्योतराजा रातसान जीते गरजे बानी सकी थी। नोट्र्जतमोकल्पी | एमुगटरलनी कल्पोबैतेवे गोमेलज्यो नहीतर हवो जे पदांची मुदी राजाबो से अरेनिर्लज पार की रत्न वस्त देवी रंस क्युं करे।।।। जोता मुगरचा दीजैतो| यारवस्तमुकनली आप निनिरू करथर जो दधते सिवा देवी रोली अनिलगिर हाथी एवस्त मोकलज्पेन हीतरमा दरोमा नामाकनेंस का देसी इतने विटंबना करीकाटयो इसलिए कमोदिउन्जेल गयो तकदी चंद्रद्योत राजारंग दवनेश्वद अनलगज ११षदोयलाष हाथी | ५०जा० बेला परथ | सात को मपाय कोई जामो ऽमुदी राजासात93 परिवारे परिवसो अनेक सेना लेई पोताना देवानी सी ममादे शादी पचे परस्परमदानार होतां चंद्योत नोकरकट्टी नीपरे विजो यो घासुन कटक आगो | चंद्रश्योत बेंजी वृतोपकाचो सुदी राजानी जैतहाई चंमप्रद्योत नेनेईनगर में प्रवेश की धो। तिहारदे इममुहीराजानी ॥५षद्योतने मदनमंजरी परगावी | उज्जेली नगरी ये पहुंच तो की थी । दिवे ते 59 दी राजा नगर परिसरवर मोवरसे इंद्रम दोन व करे नगरमा दिएकस्तंन रोप्यो तेमदा सिल - गास्पोलो केशजामहिमा की भी तेरा जादेवी | केतले क दिने तेथेष चोदीने कचरा मांहिमलमावाथी बरचोदेवी राजाई विचास्यो तेइंडस्ट नकि हां मिदिएदे ही पार केलेले तो एसर्व असारभूतबे सारते वै इमसंसार नियाली सेक बुद्दियइनें | अनेराज्य दे | इदीक्षा बेईनीकल्पा इतिऽदीले कहि कथा२॥ ॥वेिन गाइनोसे बंधक दैवे एणेनरथक्षेने गंधार देवो मवईननगर तिहांसी हरय राजा तिदां सौदागर यामास कलमंदित एक देश राजाद जीरामांनी रुथ १२ गतिमा तिमश्वागकाठीय तिमश्च वै राजाने वी मां रिजेगयो राजा था को गीली की को नीरवी राजा विचारे एवक सिक्षितघोडो अने वृक्षवराधी राजा एक मुंगर देवी ऊंचीच टय। तिर्दाएक सातभूमी यो सदेवी कप स्विट दिएक कन्यादिवरूपदेशी हरवे कंम्पा ऊभीथसि।। (१२ ठ 11.921
SR No.650005
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorGirdharlal
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1885
Total Pages286
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size44 MB
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