SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 129
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कीथारूप | सु०युनजे सुषकारी कर्माण्यरनवेमा सो सांज जीनेत ते युनिक अ० लगारने म०मोटो सं०प्रोज्ञनो प्रमिला कर्म का जो 50 कारी तेलेको किरी से सहित जालीनें र हेरा जातपचावर१ सेसो•ते राजा५०धर्म अण्समीपे वरूप संवेगनिष्मनुष्यदेवता दि कटोक देवानां कम्भुराते ए संजुतो परं वे 29 सो कण तस्स सोमं अगारस्पतिए | मदया संवेगनि कनाजोगऊपर रुससहित १० सं०संजयराजाच | निन्नी कल्पोजिοजि विरूपनिर्वेदते न संजयराजा वादिनेर राज्य | नशासन ने विधे गनाजीनामा भगवंत अलवारने वि०मीनें २० राज्य ० समीरण १० दीक्षा सीभीएका गना जिस्सन गवई अणगार स्मति र विचार नाम कि० क० हिंस्पायर्थी करण क०के लेपकारे१० | गो० गोवचे किया करमाण्यती सेवेचा गहरी वलो आदस्यी र्यादिक यं करी समावलोतरा दिवो | १८ | जज निरके तो जिणसास कीपणोपमिवज (वजीनें क्रिवतिदां देवैजजिमते. ताद / १०१सन्न विकाररहित | किं बाजोग्पचैतेनली मार्गमादिनारे विरान दीदी शैवै विकारर तातिमम मनविकाररहि | एकाकीप लोपछि कृषीप० संजय मुनीप्रतेक दिवसकारूप तताद 20 पचइए। खत्रिएपरिभास | जहातेदी सवं सन्नतेतद्मणो २० किंनामेकिंगुझे कस्सका एवमादणे | कदंपमियरसी बुद्दे क०के०पकारे चि० सं०दिवै संजय रान रूपी ततिमयुव गगर्द नाजीमुनिमा हरे याचार्यजी नाथी विश्रुतिज्ञानाने कि २०० किया दी विनीतशिष्यनुष्क प्रसूतरक देवेसं० संजय गोत्रगोगो निक्मेतिरिबीमोक्षन देनेमा टैम इंतजा एरावतेमोचनास्तिकवादी २००८४ दिये२२ मादोनाम नान्नी में ลด नेकार्थससे कुंतेमालं विनीतजांगो पारगामी २२ क्रियावादी नास्तिक वा दीर कविली एति २९ संजन नामनामे । तदा तेलगोटयमो गालीममायरिया दिलाचरण पार ग| २२ किरिया किरिय किरनि अज्ञानकुदीना एप्रक्रियावादीचा मेन्तेले मिथ्यालिक इमजांऐवे वैश्३६०० क्रियावादी ना०ज्ञात जातिपण गटकी ॥ नेद६ मन्देम दिमिथ्याला व्यार जीवादिकता जांएगे यदिटकीभाते सीतली भूतते लेश्री विश्क्षायिक नयवादी 可 निएवंश्द‍ ० स्थानक किं पलूंमा ज्ञाननाभाषणदार तलनानांएजेणें महावीरदेवे २६श्या बंदीय ज्ञानवक्षा रविलीयंत्र अन्ना एंवम दामुली | एए हिंदून हिंशा ऐदि मियले किंपास २३ ३३नकरेबुदे नाय एरिनि हुए| दिज्नावरण यिका संगसहितसश्रीमदादी १०१मैन नरक जेनरासा | दिनदेवता १० चरिनेधरूपणा मामाया सहित किया विलेले रसत्पक्वननाबोनलद विवेो• रोवी दारूपापापना करण नीगव्यति माण्यार्यधर्मजिनो ऋतेन ली हेमंजन दीनोपो करी रसपसावोपर कमबैतेनो२४ मरणाने विषे हारतेनर के जाई गजाई निनंविलसत्पयरूपणा रु१कथ ज्ये२५ जगोते दिलमाया सहितमे संपले सच्चे सपरमे २४ | पतिनरएछोरे | जेनराणावकारिणो दिनगनंगचं तिचरिताधम्ममारियं २५ माया बुदयमेयं मु
SR No.650005
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorGirdharlal
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1885
Total Pages286
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size44 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy