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________________ गु० गुरूने वचने करी १० पराभवेनि० सदा इएतले विपरीत वरतापुरु | के गुरू जे वाक्य कविनदो लै उमेरज मनेइमसीमाए मज उत्तराध्ययनमिया गुरूपरिभावइनि (६‍ कण्णवोइते १० लेिला करे १० / अन्यायामाने अमल कटिल अमादीथ को करते जिहां ति हांनां० पावसमणेतिर पहिजे देइते अपाय यहंकारी लुण्डधर अन्साधर्मिनसं किलाग करे एएट्वो सजपजितेंद सीतकारी ऊईतेक C बन्धु ने माया करे म० धूलो भुषवाचाल करते वसमत ||शकंद १०५ मिलेह्णाने विषे० ०दवोऽईएए लादिक असावधान श्रम सु०क दिये कंबले पहिले दणाणा एव समणे शिक्चर बजमाइयमुरी धदेवत्र णिग्गदे । संविभागीयते एव सम | श्रमण बु० कि० दिवा दक्वननो कजद अविचारवंत मी आपला बुदबुदमादिका रूपक ए. एनवेश अथर | कहिये पोते ननदी रे पोहानात्मानीय ज्ञातेली तेलीपज्ञाई करी हा लड़ते यक क्वन नोते नेविगेर श्रमणक दिये १२ आसने ||तिई र दिदा नदीरे हम अपना अनेराती विषेऊ करते जनजिव्हां तिन्ही गा०पटनादिकयासलतेविषे। एण्ट्वो स० [सतिर जे परमे प०१ | सि。नुपाश्रयनो०तिले । आसण्बैसे निम्बैसे छाप तिजेब बानाउपजोगरहित मनुष्कदिये‍ सुसंधारण परिसवै नहीं जैनदी थिरास ऊऊइए जानिसीय आसमिञ गाउ पाक्समयेति २२/ समररका सुवइ सिज्जनो पहिलेद सं० संधाराने विषेस तोथ को ऊप००दवोऽये ते १ 505ग्दादि आयादा खारी २११या अरुचित० ० ते १ माय सारेगसादिक उपयोगदि म करिये वि०सर्वद बाली जोगवे वारे तपकर ने विषे मल बुकहिये संथाराक्समले शिवुछ ई १४ दददी दि गई। आहारेश्य निरकरणं । रयत वो कम्मे शवसमऐत्रिकुईर‍ अ० उदयथा सूर्यनिधी जगेगा०जीमेप्र० के०चैरागने कवने करी रेपोथको सीप ० ० हवी इतेषा १० अतिधला आहार नालो १०१रि रंगीनेयस्ति मे सूर्यजिहां वारं२ दिन रखते मण्देतेथ के १० बज तो पुरुश्ते कहे एसीबामए] अमल कट्रिस लपीपलाथी गुरुनें १० बाम एवं मीनें अमिय सरंभ आहा रेशा निरकणे श्नपमिदो एड् मेजक) पावसमसिम २६॥ आायरिया परिचाईपरिसं सेव गामासहिसिंघा पट्जर पारो कोपरघस्ने विवेका तेहना कार्य करे पा०एडवो सि स्टेऽन्यावरोधली तेपा अमल पु०करिवेश सापला पोता नोघांनी ने नि०निमित्ताने करीव०६ मुनीन पार्जल करे जानिंदा में आइतेपार पचमल लंसेवा गलिएएक्समले सिचई | ११ | सयंगे परिचन्त परगे देसि दावमे॥ निमित्त्रेणयववदरश | एक्सम ॥६३॥
SR No.650005
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorGirdharlal
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1885
Total Pages286
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size44 MB
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