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________________ दिवेदिनी शशिम्पर्ने एष एणासमित क है ने काका का० कालवेलाई १० गोवरी थी या अलका का० किशनेवसरेका अनुष्ठानजेली साधुगोचरीये बवेजाइंनिज्ञानें एथेनि जायेगोवरीनि-सा बोक्लीती जीयो रसीये उपाश्रयते विवर्तन/वेलाइकर वो बेतेन शंनते लीवेजारामावरे ३२ गयो इति उत्तराध्ययन ऊऊए ३० काले निरकमेभिरक्त का पक्किमे अकालयविवज्जिता काले कालं समायरे । ३२ परिचामीएन जेकरश्ते कहे १०जीमा निसाद दातारदी घोएनि देखि १. साधूने वेसेनि मित्राका यस्तावेशिकांतो जिहंगोवरीजा इंतिहा परिनि |तिदेवीकुई तिन अनोनरहेनि आहार जेदानीपणाने दिदेवी ज्ञानेयदेषीनें रुविवजिमतिमतजीमें‍ क्षारनतोन्तोतिदासाने च विहेत्ता ज्ञाते निरदत्रे सांवरे । व विमिरुवेल एसिना मिटं कालेए नरक ३२ | नारहियानी विश्वकदेवे ना०निज्ञाचरक नोइतिश्रुति न०निज्ञावरीनी तथा गृद एग्गदेबर दिनविक मोरदे लेते निहारीतेवधीने ना दातारथीगंगे ऊनोस्टी नेतथा रुस्कनोनर रे अति कम व नोनर हे स्थानीददृगोवरेकनोन नन्नली बनें न०पवेज्ञानकरेख नानीवोकनोरिटीने निदान | नाइमा सन्ते ॥नन्ले भिवरक्सन र एगोविन57 लंघित्रात नक्कमे |३३||नाइनचे वनी एवा ।। नाष्ट्र कोकनोर दीनेनि / फा०जीवरहित ज्ञानवेनाभ्यतिदूक १०१रनेम र्थेनीको हो मोदीने निज्ञानले वै इतेविंप्रहार नासन्नेना इस फाफयंप रकमेविमं सच्या पला चारसा बेदियादिकनीवर दितप०रिटा विक बी० ची जर दिन एक पसेकवाकादिके करौटोक्यो स्थानक नें विषे इण्ट्वास्थान कनेंदि पहिगादिसंज३४ बीयमिन्निमिमे समर सु०मजो की धोए अन्नादिकसुन्नलापाका घेवरादिकदिवेनिर्वद्य नाषा बोलते ही प्रकारे थक है वे सुभ लोफाको चुनावले पाल्पोस •भनोस्ने बेथोन नोदस्यो अजो कधी आपणो माप स्वजन थीम नलोप दिनमरलए पूर्व सुभलो पाल्पोएले सानो आवारसनजी साधूनीसमाचारी पलें आा एधीएवी नापासा येतिकारे अवनी |यंसेज मुंजे जयं परिसामिवं उपासकमिति पक्केति एलेसा०साद्य भाषा • वर्जे 9 सा सुन्नजावेद्यासी कपकादिक (सन्नजानी १नामोदका सा०सावयपदवी २०रतिषामें सागपाते ह० विनीतघोडानी परे तजेद बोजा लेते स्वादसुन्न जोट्स्योरुपपनो दिखा दसजनान पंगुरुसा०सी पामादे मी पालक देवे हारतीप रेगुरूसी बदी स० गुरुपदपा તાવિનીતશિને शाखा चारवती नासाधुसदितसं० सानु०जी में नन्जयलाई अलनांपतोजी मेंचप पूर्णन भाषावन्वर्जेषु साधु ३६ ननलोड एचि नीमोदक | सखिले सुमेममे ( स निधिएफ समेति सावज्जएमुली ३६ स्म एपहिए सास हयं नईवादए । बालं समर १०यर करे [सं-संजतीसा मनछ ॥क्षा
SR No.650005
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorGirdharlal
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1885
Total Pages286
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size44 MB
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