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________________ वसंतेाविदेमएसजिरका १५॥ दिव्यांदीनगर०राणादिक रक्षित्वविचरेस तेसा फाइल अप्परकी। विद्या गिण्गवरेसभिर || दाने अर्थक्निरे सण्ते साधु सन्धादनि० अनेक विद्वेषना उपजाव दि०देवता मनुष्य २०तिम मी रोइन नयकारी प्रत्यंतबीदा जे० जेसो० सांगजीन १२ सहारषकारीनजवेजो० लोक मांदि तितिर्यवना की शाद मगा३० मोटा कठिनएदवारा ध्यानथकी स•ते साधर४ जाईपरएस निरक्का १३ सद्दाविविहानवंतिलो ए दिन म एक रसाय तदतिरिछा | भीमानयनेरकराला | जेसो छानविदिज्जइस निर वा०१रामी नादादविण्याने सज्ञानदर्शनवा विसदिवरके संजमसद १०१ज्ञात अपरीसदजी पी निसन्स 303पसंतकावरहित कोइनीदने वा कारेस० जाएीने जो० जो कांदे तकशास्नी परमार्थनाले माई र्वजीवनेंप्रापा आत्मासरीखा जालीने दे ६३१जायेनट्री सन्तेसार रक्ता र४। वायांविविदंसमेचनोए | साहिएरकेट एफ गएको विद्यणा | पन्ने अनि यस देसी वे अन्नी तारादिकनीक लाइन नवे अधरर दिन जिοजितेंदरी सदाभ्यंत अथोमी क० रुपायत्कर्षरजि० सारणा अथवा १६१ शारदत मजेदानुमिवैन रपरिषदथविमूकलो रदिन निरस एवोरोकरे असिप्पजीवीयमिदे अमिते जिदिएसइ वियफ शिश्री सधर्मास्वामीजस्ते को देनंर जिममें श्री महावीरदेव समीपे साया तिम चक्षते ॥६॥ इति श्रीनिक प्रमेन नायर्थ संप पनरमें अमेननेनिबेनिना गुणकहरतेतो बुलवारीने जाना सोन मे मेनने विषेक दीये वे तिमि २६॥ इतिश्रीभिरज्वरो १ नरसम्मा॥१॥ ॥ श्री ॥ ॥सयंमे आज संतेां । भगवया एवम रकायें। इखकर दन्दावनीसमाना जि०जेदावर्यनीसमाना स्थान निष्ार्थदिनं संसंजमनानं वार परिणामे संन्याश्रवरूप वे सचित स्वस्थ पोकरी डा० स्थानक प०कह्या कनि जती सो० सवय की सां नवीनें अवधारीनें पर्वर्तते संजम संबरनकदि समाजकी | थेरेदिभगवंते दि| दस बंमचेरसमा दियाणापन्नता जेभिर सोच्छा | निसम्म संजम बले हीरे संवरले समादिबले ॥ | गु०मनक्चन का थाना गुन्नव विधवा वर्चनीयुप्तसहित सन्सदा अ०मा शिष्यले बैककुंलस निचेते तीर्थ दन्दशबलवर्मनी समाधि पक बेजेना ईदीमबेनेनी त्मचर्य हो बहावारी दीपले वि० विवरे थे०थिवरगधरे स्थानक त्या यत्ते पतिंदिएतेषतेंदी गुत्तभयारी सया अप्पमते विहरिना कयरेख सुते थे रेहिं । भगवंते हिं। दस बजवेरसमा हिमाल जेजे ब्रह्मवर्षनी समाधनास्था निहि सं० संजमनाउंदा परिणां से आवश्यक स० वित्त स्वस्थ लेकरी पुण्मन वचन काया तीन विश्वाचर्यनी रीस ० नकभिन्नतीसो० सुधी सांन धारी रापीने मघवर्तेतसंजम बुनकरसंबरऊल समाध्वजनकहिये जेना १०६ 98 वेजे नाते सदिन सदर साजेभिरक्रूसो छातीने तिसम्म सेजम बजे सेबरबले ॥ समादिबजे || गुले गति दिए पुत्रजटारीका सया ०सांयो०० रविरंजीवी नंतेव तेले इ० जनव ननेविखण् निष्ये | चेन्नलवरेन तीर्थंकरे करे भगवंत एड्रमम०क लो
SR No.650005
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorGirdharlal
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1885
Total Pages286
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size44 MB
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