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________________ तिणें तिने ते हनावयवरूपा ने राजी ऊपजई एक वनस्पती माजी सर्व वतरुना वनस्पतीनावयव पार वयव करी सायद सत्राएं यत्ताएं सालापा पज5 शरीर एतन बुकमारुरक जो गए मामू पराई फलपणे बीजपणे एनलेस्ठानकेंऊ तेजीवतिदां अपनता योनिक वृदनी स्नेट् यादा रई तेजीव तेहिता फला एफजेडारंबीय ताविति जीवत सिंरु रक जोगिया एक रखा। एमिलि हारतिजीवा माहो या पृथ्वीनोत्रा मा तेज वायु वनस्पति नानाविध ब्रप्रथावर प्राणी नाशरीर अचिन्त्रकरणं परिविहस्तकर निविसरी प्रातेन वान नस्सतिं नापाविदाएं समान राणा सरीर अविक चेतिष विद्यते सर सर्ववत आपण काया अनेराईशरीर लगा रखादिक ने मूल कंद स्कंध क्या शाखा वा जावबीजा ऋरा दिक सौनावरू विकडे प्रवरेदियन संरक नोयाम लाएं कं नाणं तया सापवाला जावे बी श्री शरीर नानाप्रकार नानागंधई जाननानाविश्वारिने गलैकरी विक अरूंना तेजी व नें विषं तथाविधकर्मन उदये ऊप यसरी तानसा गंधा जावा वह सरीरं योयला विचित्र निनावा कम्मो वा जीवऊपनाहरू जैमनगर्नुक अनेरास्ठान एनिगमकहरू तिनेष्टथ्वीनोनिक तेजोनिन हविषे ऊपरंच्या ये है वजह दादिक जानिक मन्दो तेहविषे रामूलादि व्यवयवरूपजई ऊपरे नही लीक हो त सर्ववन् कर्मवय श्री कर ठे της शरीषाकर जानिक ना ब विई वृद्ध ऊप वृद्धिनां कैकरपहारते कतियेंकरें को लिया'त स्पेनवांतक मार्क मध तेजीव वृक्ष जो निक श्रमाद ह्रुनोनिक की ज्यादावर पुरस्कारां इहेतिया सतारक जो पिया करक से न बारु रक. तुक्क मान कम्मनिधन तिष्टथिवीव रजोनिक व्यथवा काम जाएगा ते काम नम्पनीका यदिषं रुरु जी वा गां कम्म निदान बुक्क मास क जोगिए हिंसास्कहि प्रशासनाविति तो जीव ने जो निक संजीव आहार कर पृथवीनो शरीर जावन आपली कायास अनेश शरीर मूलशाखादिक जोनि बाकरें जीवाति सिंह एक ओलिया सनेहाहार शक्ष कना रोदसिहं मादा निंतिं जीवा' पनि उतिसरीरे जावे सारू विकडे सेन अवारनिय शांत सिंह रक जोशिया RISONE PATEL か 1951 43 ange नेदिषेप स्कंध नवापरौं शाखा प्रतिशाखा पत्रपाई कंदपरोई पण्ड्
SR No.650004
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1877
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size69 MB
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