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माहवई
धनशरीर नोशारीर
नपुंशरीर*
वीदिवे वने तेतेनी दावी नवीन मते काय एमबाऊका एमवनस्पतिकाय नानाप्रकार रमापकाय पीमा उपनावेदी पृथ्वीनो शरीरच्या हारती वीसिाहमाहारेति तिजीवी माहारतिषुदविसरीरॉतन सरीरं वा मरीरे वणस्म सरीरं नाशादिदा ग्राउसरी सघावरनीवारीर आहारपरंजेपी एलीपरें तेजीवष्टय परिवि६स्त्र वनस्पतीनाजी व पृथ्वी कायादिकने वारीर उत्पद्यमानक पनना जीवगजराजेस्कारण निमादिक' दीनाशक करई
सर्वप्राशनेनामिवनस्पतीजा अधात्व यानें स्प
छती मातानाग्दणं तस्मघावराणंपारणाएं सरीरंप्रविशे'कति' परिविश्यंत सरीरं चाहारिया तयाहारियं विपरिए सामू
हीरकरे करीयादारीने अपराने राईबारील शिवी जो निक वृक्षांचशरीर परंपी मानवपापणीकारी शोधाप्रतिपा वे निमइको पिएण जाप ! तथाऊप
નાવરોમિ
अनेकवर्णरसा
नानाप्रकारना नानाप्रकार नानाप्रकार नानामकार वर्ष नागव
नारस
नास्पर्श
सचिन
विकेडे.सेनं प्रवारि वियति सिंधुद विजे। शिया गरुरका सरीरमा 'नाणारमा लामाफ नानाप्रकार ना संकानें नानाविश्वशरीर तेजुले करी विव्यसि स्वीपरें तेजीव वनस्पतिनई विषघाविधकर्म उद ऊपज पर काजईश्वरादिक कोईन थी, मलगवलु रिसानाला संडा संहिता' नामा विहसरीर पोग्रल विधिता तिजीवा कम्मो वगानदेती तिमरका य२॥ हितथाई विवाद नजोनिकहरू नद्या जगमा योनिवि ने विना तद्यौनिक रतनवा तवक्रमात्र तेजी कापीमापा लाविंद्यानिक वनस्पति एककी प्राणीया नोजो नित्यति नामंतव नाविकारें वे १२३ दावरं रुरका शतियांस तां रुके जोगियों रुक संजाल र वुक्कमा तोलियाल सोनवा'तऽवोच्चमा कम तिदोहनें पृथ्वी जोनि वृक्ष की वृक्ष उपनई तेजीव निपृथवीजानिय की वृक्ष विषई
नं विषं अने राठ न तवाविधट्टकाय पजे एस्कारण कर्मन नावई
थकी
स्पतीना पत्र निरोष कारक हे 24
वाले क्जीवन दगा कम्म निदाएं नचबुक माषद नी जोगीए हिंरु खदिरु रक साएविहंतित जीवति सिंपुढे विजीला या रु यादें तेवीसंबंधी जे वेजीवन्याहारकर5 थवीनाशरीरतिमा तेक वाउ वनस्पतीना शरीरनो नानाविधपका बसथावर आहारके आहार ई नो पनी नई
प्राण
का सिपदमा हारे तितिं जीवामा हारिति प्रद विसरीमा तेन वान व स्म तिसरीरं नाश) विहान सघाव तेना शरीर पवित्रकरई विद्वस्त कर शरीर तेजोनिकजीव वीकायादिकनो शरीर शास्त्रतत्वां बीना गुरुजोनिक नाजीय सामान ऊप तायवान्ववानें कि रामाणां मरीरंश वितं चेति परिवि
ने
तेसरी रंग द्या हारितेन या दारिय विष्परिणयं मारू विक डंसं तंत्र
आहारीनें आपका यासरी पाकर