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________________ जिमको इएक पुरुष ह आपण देत जावद परिवारन देत सामे• • श्राप जय अनेरापायें थी जेवराव ऊदा नाम कतिपुरिसिप्रासाद देवा जावपरिवाराद वा सयाममंत्र दिलंप्रादियंति आए किप्रदितंप्रदि अनेरानें तो थकी अनुमोद एमनि तेहनें ताकि आद्यकर्म मातम किया स्लानक यावतिप्रदिन्द्रादिये ते अन्ते स मखु जाणति एवंखलु तस्सतय्पत्त्रियं साबतिज्ञाहिति सलाम किरिया डाए प्रथतलाक ठोकियाानक मात्र जे नाव विनय की अपने निमको एक पुरुप कर्मनी कार्य ते नी मान्म कहा बधाई. अन्नादान कल लानंतर प्रदिन्नादावत्रिएशिमादिते । महाबरे प्रहाम किरिया डाए नवत्रिएत्रिप्राहिइति मे नहानामए के तेट्ने कोई विग्रं वादले कारनथी विसंवादपरा तोडिदिए तेयुरूप ही दीप १४मन हऍपोळे नवनिचिनो शो करूपी यामु कोथोमादि प थाई प निपुर से जियो के निकिविविसंवादिति सयाम वंदी एदी हे म्मास उदयमाए से कप्पे वितासो गसागर से बोनस दाघनोगलद्यदी आश्रमानमदित मियां हम काय चित्तरंजीव तेहनें अध्यात्म कही आमंसानि चार स्वानक क देषवाकरे' पाह करतलपमुळे अहवाल व गते भूमिमय दिडीए त्रियाति तस्म प्रशनिया प्रासंमश्या 'वत्रा रिहामा तेह को मान माया लोन प्यारेकरीजीवन को मानें मायाई वोनें मनिनेने नवमय प्रावद्य कम बंधारे मनऽश्थाई करें करी करी एवमाहिति ने कोहिमा एमाया लाने प्रशन्नाम व की दमामायालाल एवैखलु तस्मनण त्रियंसा वद्य किया अथुलाला नवमी किया स्थानक मानप्रत्ययिक कहीय च्याउमो कियाछानक वामकली द दिति प्रज्ञामं किरिया हा नितीतिमाहिए प्रदानाराम किरिया हा एमा एवं त्रिएशियादिद्या जाति नें मदें करी अलमदे करी, बलनेट मदे करी रूपनेंमकरी तपनें महें करी क जिमको एक पुरुष 상 4 निमेंजहार्नम एके तिषु शिस्त अातिमादमा वा कलादाला 'बमाद वांधत नमादवा सुम
SR No.650004
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1877
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size69 MB
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