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निमको एकरूप
जन
"विचारो
का काळानेंचि जावद नहुनपर्वत एक जे मृगविषई मृगने विषे प्रतिधान १३ हेमी प्रमुरब नीमजीविका नोक नकरा जेहाने एत्रिप्रादिद्यति मेजदा नामए कतिपुरािस कळे सिवा जादव विडग सिवां मिटावत्रिएमियम कोप्प मियम लहाग मि भूगतान बनादिकने विषेमुद्रा मृगजावनी मनुष्यई बाबाबी में कई तेष्टगणुं इसिनायें बाग को थको तीन ली मादी करा दें यवहाए गेता एए मिटालिका उं अन्नार स्समियास्संवदाएं असुं प्रायमे त्राणां शिसिरे द्या मंमिदा व हिस्मा मिलिक हुति रत्र अथवा बटे चमुकला जावा कपोलपारेवान कपिंजल कपिंजलजीव मोहियानीवनें एतले अनेरें अथ प्राधानाचं नवीन इं राजते प या हो ताववाचवा लाव गंवा कात गंवा कविता कविजले वा विधिना भवति इहखलुसमा अनेरानी नेणें कार हवेंबनपाको इएक श्रीहिमहिं कोद्रवामांहिं कांग माहिं परमी राजमाहि धान करे स्मात काय पुरुष करमली पालि मोहि
सेती अक प्रादादर मैदानामए के पुशिस साली शिंदा वीहीणिवा को वाणिवा कंपूना एरगा शिवाराला एका वाजलीदाने लवली बाखूवाह मनमोहिनी ने ऊं एधान महिल बेदसं श्रादिकशाह रेल दम्पु
एवा 'शिविद्यमाऐ अमयरस्संत एस्संव हाए सबै शिसिरेद्या सामक मुदवी हिऊसियांकले सुयेत एचि
मकरीनें सालि श्रीहि कोदवा काम
राजधान्य दई
इमनिश्वरं तेच्यनेरानो मानवता
दस्मामित्तिकद्दु सालिवाविदिवा को देवा के गुवा वा राजये वा विदिशा नवेति तिखल्लुस्से अन्नस्म ब्रहा नेरानो धान नेपों का रोमनि तेजी तत्पय सावध कर्म कही ये एनजें बोधो दंग समादान कस्माद्दम कहीय. ऊपने स्मारकहीय लेफरोति प्रकेादिड एवं खलु तस्मत पत्त्रियं मावद्यति आदिद्यनिषेचनचेदंड समादाण प्रक नादेडेवत्रिए आदि ४ अथनाक पोमु क्रियास्ठानक दृष्टिविपयसि दंग कहीयते मानाने का
बने
'निमको एक पुरुष
यानंतर
ते व शादावरे वामदं समादास दिवीविपरियामियां दंडेशिया दिद्यति में अदाम के 5 परि में माई हिं