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________________ हार करे करीनें वनें याविनें न्यातिनें राजाननें दामनेनि दामीनेनि कर्मकरीनें कम्म करानेनि प्राणानि कान काजें काज कानें निभिन्न भिन्नई मिलाई નિમન્નર मिश्रई मिश्रई याएं सुनाती नातिराईयां दासादा सीांकम्मकराणां कम्म करी प्रदेस प्राजानुकालने प्रहारनोयलिविसंवय एकेक मनुष्यनो पहवादार जोजननली होई काजें कर गम एपातरासाएँ सन्निदीसंच एक छंति इहामार्ग समाएवाएं जो एतच लिस्केपरक परिणिहित' मुग्रमुष्णाय । शातीत प्रशस् करी कागं निजीवने एसिक काम दिर्के वित्रकी व रयादिर्के परिणादि ए वेषि मजाव तिही निवाराने रिवीयो नो की अने थिमोक राजिमा जवाने काजें नमने वाल दोपाद पाएं समासः उद्गम उत्पाद एमए विशु६ अराम नापजवि शामा मुसा सत्र परिणामितं लन जिममबिल तनावल विद्धिसितै सितावसितं सामुदायेिपन्नमसकारण्डा पाएँ जुझे उ बोगदी ने वली वर्ष बलादिकने पर्थ जनले मारेमा वा मात्रा ते बलीयाहार विदेश लगनी वीन्ने का लेले व उसर्थमार्थई नही किंतु जेनले महार करो शरीर किया वती शेतकडे ऊनविन कपार परे प्रहारमा हरिव एक अर्थ पौरुषीनंतर परको वनले संजमजायामायान त्रियं बिलमिव पन्नगतात आप्पा झहारे प्राहारेद्या अन्नं श्रतिमप्रभु आ तका पाणीने का लें पाली पीवर्ड वस्त्र का उपाय उपाश्रयनें काले सयन कालसयन एसी परे तेजि, वारिची योहार पछि अनेश दिये जिम नानाविधक शिमोनही द लेवलं वर्षा का उपाये करिव मयन स्वाध्याय ध्यानादिकनी मात्रा का विभन रहिवनियमनथी, काले लिलिएकाले समां सख ए काले से निरक्रमायतिमन्तयरिं दिसेवा अथवावि प६ि० मानिसंतोषम्म कहिजे धर्मधर्मफल उद्यमयंत शिष्य अनुपस्थितको उकार्थ? सोचवावीजनाने आत्मपरहित जी कि हिने दिखई जीवजीपतिवार कराकी दि शिष्यनेंविषई धर्म हिनेदेषा कई विरतिभातिपातादिकथा करतो सुस्वाद नि याद करत महार अन्नकाले पाण्याएकाले व विषई - पुदिसेवा पडिवन्ने धम्मम इसके विले कि हे उन हि एसु वा प्रणुहिए सुवा सुम्ममा सुपवेद एसेतिविरतिं निवर्ग व उपनाम् निर्वालियर बननानि श्रार्यमा माननउ कर्मलवाथाई या केही सर्वप्राणनें सर्वजून नई का जीव समापयानो नीरूप जाविधक = जाववयव विचारी नई वमनित्राएं सोय वियद्यविग्रॅम इवितेला घनिता तिवातिय सचे सिंघाणाएं सजे सिंद्धताएं जावसत्ता हवेंद्रच्युतानुष्टाननुंंचकारक है गीतार्थनाए पात्रमापेतमा रचि क्र घोंघ रिंकला व ते जेल लोगा मानोरी 'नपानादिकमर्थ ने
SR No.650004
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1877
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size69 MB
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