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________________ | कालावति भवनाथाई नेकदै, किंबऊना जेएशश र दार टरउ रुरुमादारे करावयायो नेविरामबुको वय परिणाम वोऊ सगाडागजी किस्माकेसामलियानतिजहानपिटामसरीगंगरालेमादारोवेश्यायपियंत्रणुपुणविष्यानदियचन्न व बुनाणीनं नेमेथावानमन जिम्वरीविषेसावधान विप्रकारे लोकजीलाई एकजीव एकजीव एकत्रम एकथावयाँ परियामामान चोद तेदेषकार लोककले विस्मविएटोरकारासेजिस्कूसिवायरिया हिए हमलोगीनाणघाटनावांबेनीवावेतसामावर णमारमा 26 मारन सपरिया एकेक श्रमण ब्राह्मणपि' मारली अपरिया जेलजगत्रमा त्रमअनेथा निश्च जोगाथा बरायवि वेदखलानासानांसमरियाहामंतिपतियासमणानादाविमारंलासपरियहाविजेमतसांधावराण पा निहनेंचया अनेशपादिममारंजकरावे नरामारेजकरनअनुमोद कारंजीयप पिनगमा ह यार। मपरियह मे०का | |जकर रियही में प्राणानियानदेषाही दिवेजोगांगन्त्रपक्षिय बनिन ढ तमयसमारनेति भन्नेबिसमारंजातिप्रासंनिसमारं समुना विदखलुगारबोसारंनासमरियहास ई.एकके श्रमए। बाापित सारंपरिया जेएकामनोगम्बीयादिक लोग अचिन अथवा मचि कापणजोगाथका अनेसपाही -शुष्णचंदनगीन वानित्रादिक परियकमाई Januतियांसमणमाक्षणविसार नासपश्यिहाशमकामसोगासवितावासवितावासयपरिगिभूति भन्ने परियावर अनेराश्य यह तोही. नेहर्ने अनुमादे जगमोरिनियम यानी १२यहीच . एकेक श्रम बाला विपरिगिएरातिमपिपरिमितसमणुजाणं तिहखसुगारवासारं नासपरिसहासातगातयामानणमाह सारंजामपरिवही जाली ॐ बलुनि निशरंत निपरियह जेएमें निथे । रस सारंजी अपरियहीन, कश्रमण वागविल निर्मचारित्रीया मुचीनदेई विसारंजामपरिसदा अहखखाणारं अपरिग्रहे डेखल्गारवासारंलासपरिमहा संगतियासमा महण
SR No.650004
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1877
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size69 MB
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