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________________ तन्त्रका सर्वयानसनो उपोष बानी a थान्यावकाका यमोही य यति तसकायान दियमुचमाणा यावर कायंसिदति थादकायाविष्यभुवमाण तस तेनैकदेवेति तचमका का यदि जीवर अपनोदि गोमते०६ गवेष्टात्र एमा 3039 था०या दस प्यादिस्या जे वायुकम दि बीने डा०सकायनोपन मधान्याति वन कर्म जिल कर्मण्य श्रम के सीस्फालाफालानो दिरम की स्थावर कावनेविवेन्म दिने ली का नम कायसेन वजति ते सिवणं तस्स कायं सिउद दणाणं घालमेयं तदा उदरवेजलपु न कहना र परम्पुरोमनिया मायच्माजीद देसी प्राणी पातनी दीर तकी ती पर्यायऊजा जीवन दिनाकरनगर नंगथया तोकिएही सम्पतनोपाली बासठ नवी इ हातिमन्याप्याना बानो उस ० बाद सहित बाहेो नानीहरु बंधनेपली नि केवलि ज्यामोहितने मला डेनिलिका रणारी नूपमा निमदेनूननर नो देवलोक तिमर हो म्हारी व्यक्तव्यनाशयन सन्त करनासरी बाजोली नत्र राजेश दादाजी त एतने तो सीन ले जे जो दोमिसकाय करतोस कर बारां नरास तो पुनरक्तदोष के श्रागोतमस्वामी तदाऽनिराकाराऊने इस निदान : आकরबसपा०० कन्के हवा आणी ख● निखे तत्रसकाय कायनेि उपजेते नर क्षिपे दो यु गाय २००प० रात्र सामने राजकारक संवादसहितरम वो अथवा तारे तेनगरंगोयमं एवंव्यासी कयरेख आठसंतो गोयप्ता शेयर यसपाली सास एवं मयव मा० अहो आयुष्मत वाला उदकपाली तेन कहि तसपाला तसा अन्नास वायं जगनोयम] उदयंपेलतं एवंव्यासी आन
SR No.650004
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1877
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size69 MB
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