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________________ पावाली यानीनिकाय जोडी दरिनारुम्प आचार प्रवर्त्तता एलासा काया नादाविपाले एसो०एसनजतीने तीर्थंकरे के मे जो एपोजि घर निर्वानित्रयसाध मत्रांति करानि दषिमालस्य हदि नेहनी जेन् कर्मत्रमाचरितेनुमा रिसाकी तिरुतेदिष जमाचारेणवली सानो आचारक इतव नेम सयादs हेम गुठ मरणास देसि राणा एनिहाय तम्हानुजंति तरुप्पारं एमी एक धम्मा ३ संजयाए ४५ नि गांधध किती तास दिवेप्रवर्त्तमान एल्वो मामा तुवसत्वनोजांबिका देदीता मुनीन काउनु जी एरुिप्सीजमादारनी घुला उपवासादि स्नो जेत्यादिकस यारही तत्तथको पथवस्तिहर हितको सय मनुष् कण्ण्मु जोतर एारुपने ऐक अ०] संपनतिसि चापातयाजदानुद्दि सहाता जोकाकुलोतर पधिरहिये व्याङ्कनार गोसावी ધર્મનીનિત अनुष्टानरूपसमा धिने चालीनेत , जेवाला तयतिशिकारनि० जानतन्तथा प्रकारे एना तास दोष माघारे नियादिकरक ल्प सानेश्०ड्लीज गमादिए मिश्म समादि अस्सिस विचाणि देवरेजा बली सीलगुणोदते तंपाईएतीसिजो एवा ज्यामी मात्र कुमार ने रूमी काही जीन एमत देशवाल नेकरीत] दि एतेन मृत पारेवाल जो सपने श्रदाजी न मानुषत्री सर्ववर्शमा हिउ तमालपेजेसे दिया बुक्तवैरं यानी इत्यादिकेच्या पली मारग दिपा बैकवेः॥ झिपटकर्मवेदना निरंतर एसरे जाण्जे पुरुषक्षतिपनिव्यहारनोब्जी आवरणमा चार वितत्परखाइ मातने मनोद्वितमाहार प्रचारिए राम्रा ललना मामालनेवा स० [सहसः ॥ तारा ॥ गं घर तेवतेरुपक० नच्च देवरदाताई पर सरसोदर पुन्नोदाबंध सोदेव महारवेदनो स्वनदे पिंडे मार कुमारकहेते स आज सिलाय गाणं सहस्सेने जो य एमिति एमाहाणं सिन्जेलानकेन ड० दोससह ने जे‍ जेता राजो० जी माने वेली० नित्यतेलान करकरूया बेजिममा वितामरथी कृतिहर नमेते माजरे जोली दरोजी जीकर ५९१ साम रासायरिल वेपनाने जाते रुपात्र दोन प्रमा ते पुनखयं समरूं जिला ता नतिदेाइतिदेय दाने ४३ सिलाय गाए देहस्से जेतोयतेए सामी a
SR No.650004
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1877
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size69 MB
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