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________________ संकाइप साध्य उष्टांने उगवत लुसिव संयम पंतपुरुष लो० जो कमी हिकिक एव्हीने सो मनीजन फीट घूमसीतल विससा राईयादि कनो कवि पु जुगतनपश्मुकताशेष नही सो जोकरे मामार तारो तिर्थंकरेराम ६ वजयसहित जिल कारवी तोषको यवात्रि राशिक हे बेमा० फनाथ रथम गण्गा नु डागजी स तमायजेथावर जेयपाए नूयादिसकाए हुमाणा नरतीब सिमं किचिलोए २४ मनुष्यै हे पीते पुरुष के राजे म्हारांती करेथकीए क जात्पादिकगु करीन लाकर उणात था ति एकमधिकतेसंघाते बेताकादि राम दाना दिकने वि १ नहीं रागदेषरहिततथाथ वस्त्रनोस्वरुपकरुतो को ईनिदान दीमक तोनि दारूवा बादासनदमे के हथ की देवोऽनये जिली कारणासा नासा द्वार पंडितसं देव० गंतगार आराम गारे समाउनी ते उदतिवासं तेवरिये मान नंगथ इतिलिश्कार लिएको थानकांमीदववादिकनामा मोदिए कांति से जीते पुरुष के वातामनेकविचित्रको ल सारमंत्रनादीत या एकमान रंगीन ती एदवा जे जे या गलतादादिना मोदिक्चननीस रेशति एकार पाहते मा रामउघाननो दाम संबंध लोगो सालीक है ममेदमि दसानुसंतिब्रहदे मगतिरिता तस्मादारियामयतथा सि० आचार जादिक ने सर्प देशिया बुधन सम्पिकचार प्रकारनी युद्धसहीत पत्रम अमर्थन दिवे लि० निन्देना कार हार बेवुभुजने कासूत्रार्थश्चेतिवार मेलविली सिखिय बूहिमंता ते दि राहारचे ते मातथाप रनेति कि काय करे परजवंत सर्व दजससीत पेरिसमाएणे गारे अनेइति संकमाए उदेतितच २६ यज चल चाय १५ उजने व्यवस्पेनरीतिवारे मोही रुनाग यास्यै ६वाच्या० रागामने राय के कप हवा ० संघसंक तोताहरु गुरुजन्नर्हरतानादिक मोहि र६ तिलिकारएणत म्हातु मारगन ही इम गौसाला थकेहि अध्यापक मारगी साजापते के हरदम हो गोसाला ते जगवंतच्या कास कतनजी गए तले रूपमर्थ जे मल सिडियन पर
SR No.650004
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1877
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size69 MB
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