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________________ कि एम सकल स६ वा रे ॥ ३पर टीका कमल रे॥घो मा पका कार रे । इल विधकि सारे रे ॥ क क सामा द्वारा टाजी ॥ मै नै निज हा लौ रेस के इक है पुरि नृपनिज रे दीरे । सहक इतथि पिल मिठ रे ॥६॥ राजा चिरंजीव तर हो रे ॥ थवर सव ॥ दिन कि इषितु पीरे। सनी परे आसारे ॥ ७ ॥ ब माइ ले कि पका रे ।। पाद तिला हो मापितानिज बंध वैरें ॥ श्राय मिली समने हो ॥से ॥ विसर तेराज विरे ॥ एवोपमदिरा वैरे जे दूर मजे हवा करैरै॥ हते वा फल पावैरेषा पराग बैजिकैरे ॥ जे अ ताइवा पारो रे। आप उस षी रेली जैस६विवहारो रे ॥१० सा चालाई वाः षापरतली रे तिलक सुंदरीना ररे ॥ ६र्म बदिन तु मारे रे ॥ राजा बालेवालारे॥९॥ घरलु सदा त गरे । देश निकाल दिघेरे सतत राजनी रै॥ कार जोसि वीरे॥१२॥गि नो वलिजेलिना नाक कान का पारेर बाहिरका ठि परिरे। सिबतदवी समा क बृज पिरे ॥ ३॥ थाचिपटी तू रे ॥ बेली सुज स सव्वाप मिलत परा वसुंरे विरमछ घएका रे ॥१॥ सरायसि घरैमा दुबै रे ॥ बावि समी ए ढाबे मिलति मासराज सुरे॥पुरी ईतका स ६ ॥ ते माय जटा देवने ॥ कापली वा कमायौ मा. हरे। ॥ MEN 15064 汗 100/ SDE 20 SIR
SR No.650003
Book TitleVikramaditya Chaupai
Original Sutra AuthorSomgani
Author
PublisherMansor
Publication Year1882
Total Pages44
LanguageHindi
ClassificationManuscript
File Size8 MB
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