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तिते कारण करी कुकीय निःशन्निध 15. सा० साधु चारित्री या
स्वामीजंबूपति कहि ॐ तद्यागुरुशिष्य
तणवुनंत्तिसारणा 'शिबमाया मयि समूहः ॥ २ ॥ ॥ श्रीः कदनुका सामन्नं
जी० जेकाई का काम लोगन ननिनावारि नही तो
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मं० पाहुया श्रध्यवसाय नई बातो को
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त्रिकविष्णुना फूलना उपमानजं अध्ययन संपूर्णः क० कि सागू विचारंण कुछ कर इति प्रथमं व्यध्ययनं इसाचारित्रन साधुन
दविण्दवासा धूमू तासात पालीनालय एहार तेट्न
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गुरुशिवान व्रतन लाल परिसा के दि बसनमरुपाया सः समतानाच विचारिनिरूपविच सिकदा मन्मननिनाक घर की बाहिर चित २५ एम मजम पालता
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एचयलाए मऊचाईचि । । समायापदा एपरित्रयांना सियाम निस्मरबादिया न
तिवार एम चीन न नही मा 5 चीतवीन नातेरिकी नवी म० माहराना नहीं मि विनिवार रा० काम राग नि विपि
मन हामि श्रापवा निमति एम करा का काम सागनाथां छाताना नीलाइ बोसो कम बनाने की लप गुरु क्रमलाई
| सामदानां विग्रदेपिनास शचवताविरागे। ४॥ यायावयादी चयासागमनं कामिकमा
तिवार क० लघ लबेद दो दिन लिए एपिर मु० मुखा दोघा खु०निश्वई 505रखन रामनन
संसारमा ह
स्वमर्धन ही प्रतिनमिनिकंदि मनमरि अन्जलती जो० व्यग्निमाह
ही कमियंखुडरकं छिंदा दादा से विणश्रागं एवं मुदिादा हिमि संघराए।परिवाद जलियांजा