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________________ चलातरम मंत्र परमे वाघाऊ मयाकरण) ॐ भूमिका मादिकपनि उमांकण बिडीप्रमुख नाकलितनि मतंगादिक 30 देवता नारकीय जे०जेद के कार्ड चन्चला यान्त्रम बाउकाक प्राणी नइ एल होइएर जाति नात्रस ॐ०प०या सादमायावती छाव गविना उपना रसया सांसइमा समुचिमा उझिया बनवाईया [जसिक सिंतिपाणातिक्तं पडि लता संसारको सरारावरून तो तन्त्रास पानासीजा यह मारतात लता यामता वउ નમનો चता ० श्रावद वि० इत्यादिकसे जे० अकाई। पपतंगाया गजाव झाकरता। जाए की कीडा दिकजीव नेत्रसजीव मुघ कंत्तं संचिये पमारिये रूयं संत्तं तसिये पलाई श्रागगइ दिलाया जियकोड घटागा जा० एजीवा पिन कोडीप्रमुध सघला बेबेद्रासमधला ते ते काममधला च चरिं समधूला पं० पंचा कु० ॐघुया कोडा डीप्रमुख माघाप्रमुघ सन्सध लाइ डीजीव मुम सीमा दिक जाइकुंघु पिपालिया साद्य बिंदिया साज्ञातइंदिया साच्चचनरिंदिया सान्नपंचिंदिया साधा तिः नार्यचा एकैयादिक मलाई ने नारकी मलाई म मधलाई पानुष पर्यापर्यात मनुष्य मरते ज्यास दे० देव मूर्तिमादिक जातिमा समातिदिदं दधर्मा एन्ए प्राणासासो सासना पावनानाप्रवर्त नदार धरणहार तरिकाजाणिया साधानरध्या सामण्या साम्रादवा मािणा परमोदाम्मिया एासा बस काय प० कहाय ५० ह कायजाव निम्मा मोहनइ ने० नकरु खनन बरु जी जानू ना निःसमोदानेदनइं ना दंडहिंम्पारुय खलुबाजावनिकार तस्सकाउलिपवुच्च प्रावसिंबन्द जावनिकायास नियमो दंड ननकरारापाददं हिंसा दं हिंम्पारूप संग्रा चारत नसलसुं न जाएं जाοजा रंनकरती करना >सञ्चारन रुपमान ममारेलिका नेवान्नदि दंडे समारसाविका दंडेस मारतात व आान्नसमपुजा णिका जाव ५
SR No.650002
Book TitleShadjivanikay Sutra
Original Sutra AuthorSwayambhava
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages28
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size4 MB
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