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________________ दी०बेदेवनाथ का श्र० १० जिन विमानन विष‍ | आ०आदिदेइन से प्राकृताप० ताका ए०म० वेजेसन्मान पस्वी भगवंत अतरोवादिन्द दोबी वपन देवता का स०सेषथा कता जनिगम० पावस०सवार्थसि६ कपनादेव किन जे० ज०जावसे० विमानथ कांते ले सागना जा सी पराजिए। दो शिसि संजहा महाइमसेल) मादी | पंच सबसि६ । एवं खलुजंबू समर जावा संपते। अयुत्त रोक्वाइयद सा रंग | दो वष्वर्य' ०३मश्र० १०१रुमा मा०एक स०सलेला बेबेजववर्य इतिश्री अमनरोवदा सूचनाबी०बीजठवर्ग ॥२॥ ज०मद्य् नेव्हेनगवा मामल अर्थ कहा मासनी कीवी नई विष नपूज्य तपस्वीनग वित‍ ना पि पू चरस व माय मते मासि मारा | मल द्वारा दो सा विवग्रस । इतिश्री अण्णान्नरो व वाश्या बीती तबसम्मत्ते राजानते / समले जातावपि अत्तरोववाइदिन्द दो०बीजा कवर्गना अम० १०१रू त० त्रिजानं०देववर्य अतरोव वाइद०६ सामलत जाजा द्यमानधक‍ शांगना अर्थ प्पा भगवान पुज्य ना स्वीभगवन वत सागना ता 10 म जावा संपते अन्तरोक्वाश्यदमाग दोच्च सावग्रस्सयम हे पणन व स्म अन्तरोद वाइमदसारंग ममले गजा मविद्य के किस्पार्थ एमखनि समूह जाजाद से०वि अनुत्तरोववाद० त०त्रीजा व वर्ग दन्दस तवं ततेदनाना २०६ माना प०पप्पा तपस्वी छ्मान चक दसागना तक मक बनान | कड् 31 वसपत्ते कि हे पत्ते एवं खलु जब सम ले मसनद ६० रिषीदासनो आक पे०लकन वनोर m ह्या 38 जाव संपत्ते एवं अन्तरो ववाश्यदसा तश्यावग्रस्त दस अयणा । सत्ता तं जदा | वय रा०रामपुत्र चन्देश्माकुमा १५९मामऊ। वे०पेढालपुत्रागार न०नवमा पो०पोहिल कुमर बन्नदल नउ‍ रनो मारनोश सानोप नए कुमारना वद १०वहि जा ||सररक्ते |२| इसि दामे आदिमतेयचदिमा ६६मा | ७पि दालपत्ते च ल गारे | ८ | नवमे पो हिलेतिया दन्दसमोऽ६ ९०० पुत्प आक जयने सश्रम जानावसे० अव्यक्त रोववादशां तत्रीजा ववर्य ददस अन्य १०५ यनको समय हा दत्तगवानपुज्य तपस्वी विद्यमानस कश् गना ना प्पा मन १० ล इसमे कुत्ते |१०|"मेयदसा दिया जनतेसमोर जाव संपत्ते अणुत्तरोववाश्यमाणं तच्चस्स वस्स । सशया | पत्ता पदम नव्हेनगण्य मामू जा०जाव संवितराव दन्दशांग के० किस्पा एडम खनिव ते ०ते कालतेस का०का कंदीना नष्नगरी बानपुज्य अन तपस्वी मानक‍ ता प०परुपा वा‍ मा करीन मानव्यविष समजते अशय णस्स समले | जाव संपते अत्तरो ववाश्यदसाणं (के हे पलते । एवं खलुज निकालिये। २ का कंदी नाम | नारी। जे
SR No.650001
Book TitleAnuttaro Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherBikaner
Publication Year
Total Pages22
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_anuttaropapatikdasha
File Size4 MB
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