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________________ सप्तम अम्बड चरित्रम् आदेश: इत्याशिषं गृहीत्वा स नवा गोरखयोगिनीम् / स्वस्थानं गतवान् स्वस्थस्त्रिंशत्पत्नीसुखं भजेत् // 161 // // इत्याचार्यश्रीमुनिरत्नसूरिविरचिते अम्बडचरिते गोरखयोगिनीदत्तषष्ठादेशः सम्पूर्णः // 6 // _ -(क)॥ अथ सप्तमादेशः॥ // 8 // सा पूर्या देशं प्रकृतिविषमं योगिनी गोरखाख्या, पादौ नत्वा पुनरपि वचः प्रार्थयेदम्बडोऽयम् / सामान्योऽसौ न हि बहिरहो मध्यतः सत्त्वशाली, तादृग् ज्ञात्वा मुदितहृदया सैवमादेशदात्री // 1 // आदेशं सप्तमं देहि मातर्गोरखयोगिनि / / हे अम्बड ! महासत्त्व शृणु सोवाच तं प्रति // 2 // दक्षिणस्यां दिशि स्फारस्सोपारपुरपत्तने / चण्डेश्वरनृपस्तत्र तन्मूर्ध्नि स्याच्छिरोमणिः // 3 // पच्छेडकोऽस्ति तन्मध्ये तमानय श्रियं भज / सहायवत्तमादेशं नीत्वा नत्वाऽथ सोऽचलत् // 1 // // 8 //
SR No.600425
Book TitleAmbad Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijayjinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1984
Total Pages116
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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