________________ अम्बड चरित्रम् अनेकविद्याधनपूरितो हि, सत्त्वाप्तसिद्धिः सुकृतैकबुद्धिः / तद्योगिनी वाक्यवशोऽम्बडश्च, द्वाविंशतिक्षेत्रसुखानि भुङ्क्ते // 138 // इत्याचार्यश्रीमुनिरत्नसरिविरचिते अम्बडचरिते गोरखयोगिनीदत्तपञ्चमादेशः सम्पूर्णः // 5 // आदेश: // 71 // // अथ षष्ठादेशः॥ -+| पूर्यादेशं प्रकृतिविषमं योगिनीगोरखाख्याः पादौ, नत्वा पुनरपि वचः प्रार्थयेदम्बडोऽयम् / सामान्योऽसौ नहि बहिरहो मध्यतः सत्त्वशाली, ताहग ज्ञात्वा मुदितहृदया सैव वाक्यं प्रदत्ते // 1 // अम्बडः समये प्राह सहास्यानम्य योगिनीम् / देहि मे षष्ठमादेशं सन्देशमिव सत्वरम् // 2 // योगिनी स्माह हे वीर ! पुरे कर्मकरोडिके / देवचन्द्रनृपस्तत्र कुरुते राज्यमुत्तरम् // 3 // |1171 //