________________ आ चरित्र उपरथी उपकेश गच्छीय सिद्धसू. हर्षसमुद्रसू. शिष्य श्री विनयसमुद्रे सं०१५मां अंबड चोपाइ, सं. १६३६मा आगमगच्छीय श्री मंगलमाणिके अम्बड कथानक चोपाइ तथा सं० १८००मां श्री भाव उपाध्याये अम्बड रास रच्या छे. आ चरित्र सं० १९७७मा श्री आत्मानन्द जैन सभा अम्बाला तरफथी पूर्व प्रगट थयु हतुं. प्राचीन साहित्य प्रकाशन योजनामा लाभ लेवानी सुश्रावक देवचन्द रायमल सपरिवारने नाईरोबीथी भावना थइ ते अनुमोदनीय छे. हजारो ग्रन्थोनु पुनः प्रकाशन जरुरी छे ते माटे आवी भावना सौ भाविकोने जागे तो कठिन काय पण सरल बनी जाय. सं० 2040 जेठ वद 5 सोमवार -जिनेन्द्रसूरि जैन उपाश्रय, ओसवाल कोलोनी, जामनगर ॥शुद्धिपत्रकम् // पृष्ठं पंक्तिः अशुद्ध शुद्धम् | पृष्ठं पंक्तिः प्रशुद्धम् शुद्धम् ऽग 25 12 तन्त्रयम् / तत्त्रयम् जनन्या जनन्या च 253 क्रियमणे क्रियमाणे क्वचि क्वचिद् 0 स्यैष स्यैषा 128 कैसासेऽपि कैलासेऽपि आसन्नं आसनं चमचके चमच्चके / विधरिह विधिरिह ऽगात् سه هے