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________________ अम्बडचरित्रम् // 10 // सर्वे चमत्कृता लोका विशेषाद्विस्मितो नृपः। अद्भुतं तं वरं वीक्ष्य ददौ तां सुरसुन्दरीम् // 26 // सप्तम वनस्थं सैन्यमानीतं पत्नी मदनमञ्जरी / सोपारकपुरे शोभा नित्यशो भाति सोऽम्बडः // 27 // आदेश: हस्त्यश्वरथसन्मानी दानं भोजनपूर्वकम् / अम्बडः प्रीणितस्तस्थौ वर्षं तत्र सहर्षभृत् // 28 // समये भूपमापृच्छय सैन्यपत्नीद्रयान्वितः / क्षेमेण स्वपुरे सोऽगात गुणगानेन विश्रुतः // 21 // अग्रे गोरक्षयोगिन्या दौकितं सर्वमेव तत् / द्वात्रिंशदयितायुक्तः सशक्तः सुखमन्वभूत् // 130 // सप्तसौख्यधरो वीरः सप्तव्यसनवर्जितः / सप्तद्वीपवती पृथ्वी विख्यातोऽजनि सोऽम्बडः // 31 // राजन् ! मम पिता सोऽपि लोपितारातिरम्बडः / विद्यासिद्ध इति जने धत्ते नाम द्वितीयकम् // 32 // नित्यं गोरखयोगिन्या-स्त्रिकालं नमतः क्रमान। पितुः प्रथमपत्न्यां च चन्द्रावल्यां सुतोऽजनि॥३३॥ सोऽहं कुरुबको नाम्ना भाग्यनाम्ना विवर्जितः / तदाऽष्टवार्षिकोऽभूवं भूषितोऽजनकर्द्धिभिः // 34 // K अन्यदा गतवान् तातो नन्तु गोरक्षयोगिनीम् / पराक्(पुरा)चकार सा ध्यानकुण्डिकां तस्य मोहतः॥३५ | | // 10 // अधस्तस्या हरिश्चन्द्रनृपकोशमदर्शयत् / अधिष्ठितोऽग्निवेताल-स्तत्र तस्याश्च नित्यशः // 36 //
SR No.600425
Book TitleAmbad Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijayjinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1984
Total Pages116
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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