________________ श्री जयन्तीप्रकरणवृतिः / द्वेषं वहन् // 216 // DOORSCOC%C4% // 40 // सोवि मुणी धम्मरुई गुरुयरवेरग्गमम्ममोइनो / आलोईय पडिकन्तो परमं संवेगमावन्नो // 41-42 // वाणा- ततश्च बटुरसिनयरीए कम्माणं चित्तपरिणइवसेण / अप्पडिबद्धविहारो आगच्छइ बाहिरुजाणे // 43 // अह नयरीए मज्झे भिक्खट्ठा 13 कभवेऽपि तेण कीलमाणेण / पविसन्तो धम्मरूई दिट्ठो बडुएण बालेण // 44 // रोसेण धमधन्तो दुवयणलिट्ठवलधूलिखिवणेण / तजइ मुणिं महप्पं वालयविन्देण परियरिओ // 45 // उवसमसुहामिसित्तो तत्वो एसो मुणी विचिन्तेइ / अझ अलं भिक्खाए दुकम्म- मृत्वा हेऊत्ति बालाण // 46 / / पच्छाहुत्तं वलियंमि तंमि वलिएण पुत्ववइरेण / सो बडुओ अइकडुओ थकेसुवि सेसबालेसु // 47 // वाणारसिअणुगच्छइ तजन्तो वारिजन्तोवि सिढलोएण / धम्मरूईवि चिन्तइ एसो किं नन्दजीवोत्ति ? // 48 // तच्चमढणं सरन्तो नृपो जातो मच्चुभरोल्लसियतेउलेसाए / सज्जो कहावसेसं बड्डयं साहू कुणइ सहसा // 49 // मुणिमुकतेउलेसादाहे दुकम्मलेसनिजरणे / मुनिवरं सुहमावपरिणईए तत्थुपनो निवो एस // 50 // ते सुकयस्था निम्मलगुणसच्छा कम्मनिहणणसमत्था / तइलोयमत्थयत्था / दृष्ट्वा सिद्धा चिट्ठन्ति ते सच्छा / / 51 / / धन्ना ते सप्पुरिसा जे नवरमणुत्तरं गया मुक्खं / जम्हा ते जीवाणं न कारणं कम्म जातिबंधस्स // 52 // इय चिन्तन्तो विहरइ मुणीवि अन्नत्थ सुद्धतवचरणो। दुक्कडगरिहानिन्दणनिक्कन्दियपावपंकभरो // 35 // स्मरणम् / रन्नावि अमदिवसे सुहासणत्थेण रायमग्गंमि / दिद्वे मुणिम्मि जाइस्सरणे नाएसु मरणेसु // 54 // मुच्छानिमिलियच्छो सहसा कुट्टिमतलम्मि ढलियंगो / सिसिरोवयारवसओ राया सत्थो भणइ लोयं // 55 // गंगाए नाविओ नन्दो सभाए घरकोइलो। हंसो मयंगतीराए सीहो अंजणपवए // 1 // बाणारसीए बडुओ राया एत्थेव आगओ / एवं सद्धसिलोयं जो पूरइ तस्स देमि रज्जद्धं / एवं वुत्ते रमा तं लोओ पढिउमारो // 56 // तियचउक्कचच्चरेसं रायपहारामवणनिउंजेसु / नय पूरिजइ केणवि एवं | 216 // SARKAHASE