________________ भी जयन्तीप्रकरणपृतिः / // 144 // NAGARROCIRCLE सुरवरिन्देण // 19 // भो धणयजक्ख सिग्धं ! सम्म पुरहयपुरवरसरिच्छं / उज्झाएभूमिए विणीयनयरिं निवेसेह // 20 // नवजोयणविच्छिन्ना बारसदीहा पुरी अह निविट्ठा / कणयमयपायारा मणिमयपासायसोहिल्ला // 21 / / अह तीए परिपालइ रजं नाणत्तएण संपुनो / देवोवणियभोगो वञ्जरियासेसववहारो // 22 // दावियविजासिप्पो जंगमकप्पडुमो व लोयाणं / भयवं अमूढलक्खो जावय दिक्खं गहिउकामो / / 23 // लोगतियदेवेहिं ताव चलियासणेहिं पत्तेहिं / विनत्तो पहु ! तित्थं, जीवहियं तं पवत्तेहि // 24 // संवच्छरमच्छिन्नं दाणं दाऊण रजअभिसेयं / भरहस्स करेऊणं सेसाणं दिनपिहुरजो // 25 // चित्तबहुलट्ठमीए चउहिं सहस्सेहिं नरवरिन्दाणं / सद्धिं दिक्खं गिन्हा लहइ य मणपञ्जवं नाण // 26 // नवि ताव जणो जाणइ का भिक्खा केरिसावि भिक्खायरा। तो कच्छाइनरिन्दा वणमझे तावसा जाया|२७|| भयपि विहरमाणो वरिसन्ते गयउरंमि नयरंमि / सेयंसकुमारेणं पारणए दिनहक्खुरसो।।२८|वरिससहस्सन्ते नग्गोहतलंमि पुरिमतालंमि / फग्गुणकिन्हेक्कारसितिहिमि पुण केवलं पत्तो // 29 // तक्कालं भरहस्सवि आउहसालाए चक्कवररयणं / उप्पन्न पुवन्जियभोगफलोच्छलियपुग्नेणं // 30 // चलियासणा सुरिन्दा साणन्दा इंति पुरिमतालंमि / रयन्ति समोसरणं कुणन्ति महिमं महुच्छाहा // 31 // नाऊण भरहराया चकं इहलो. यंति काऊणं / पूएइ जिणं पढमं गन्तूणं गुरूसमिद्धीए / / 32 // तो पढमदेसणाए पढमजिणिन्दस्स पढमओसरणे / संघस्स चउविहस्सवि गणहरपमुहस्स उप्पत्ती // 33 // धम्मवरचक्कवट्टी बहिरन्तरवयरवारणसयन्हो / देसन्तरेसु भयवं विहरइ सुरकोडियपरियरिओ / / 34 // भरहोवि चक्करयणं रिद्धीए पूईऊण गयणयले / गच्छन्तं अणुगच्छइ सरंगचउरंगसेणाए // 35 // साहइ भरहं खेत्तं छक्खंडं सहिवाससहस्सेहिं / बारसवरिसाणि तओ रजभिसेओ हवइ तम्हा // 36 // तो बन्धवाण हुत्तं दूय | शिल्पादि दर्शयित्वा | भगवता गृहीता दीक्षा, प्रा. प्ते केवलज्ञाने च समवसरणम् / 6 4- SA 144 //