________________ गझेश्योपपातस्थानविकटपतः साध्याः // ४ए / / // इति नवमोऽध्यायः॥ HerGGINGroke-se-de-se-severeRONSTee-Hereveerenderelese merce CenterGeen- GBIGrever / अथ दशमोऽध्यायः। मोहदयाज्झानदर्शनावरणान्तरायदयाच्च केवलम् // 1 // बन्धहेत्वनावनिर्जराज्याम् // 3 // कृत्स्नकर्मक्षयो मोक्षः // 3 // औपशमिकादिनव्यत्वानावाच्चान्यत्र केवलसम्यक्त्वज्ञानदर्शनसिदत्वेन्या तदनन्तरमूर्ध्व गच्छत्यालोकान्तात् // 5 // पूर्वप्रयोगादसंगत्वाइन्धच्छेदात्तथागतिपरिणामाच्च तहतिः // 6 // क्षेत्रकालगतिलिंगतीर्थचारित्रप्रत्येकबुझबोधितज्ञानावगाहनान्तरसंख्यास्पबहुत्वतः साध्याः // 7 // // इति तत्त्वार्थाधिगमेहलवचनसंग्रहे दशमोऽध्यायः॥ // समाप्तश्चायं ग्रन्थः॥ BIGINGIGHeresereemere