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________________ जैनी भाइयों और आत्महितैषी सज्जनों की सेवा में अप्रूव भेट. (श्रावक धर्म दर्पण) अथात् श्रावकों के धारण व मनन करने योग्य विषयों का संग्रह. पृष्ट संख्या छियानवें ९६ मूल्य केवल ) ५ प्रति का १) मात्र । ___ इस पुस्तक के सम्बन्ध में अधिक लिखने की आवश्यक्ता नहीं पुस्तक क्या है मानों समुद्र को घडे में भरा गया है। देखिये इसके लिये प्रसिद्ध पत्र क्या सम्मति देते हैं। "कॉन्फरन्स प्रकाश अजमेर" अंक ४० ता. १६ जौलाई सन् १६१६ ई० इस किताब का जैसा नाम है वैसा ही गुण है इसमें श्रावक धर्म के विषय में कई उपयोगी और माननीय विषयों का संग्रह है आदि । "जैन प्रभात" अंक ४ माह आश्विन संबत् १९७३ इस पुस्तकमें श्वेताम्बर सम्प्रदाय के अनुसार श्रावक के धर्म का विवर्ण किया है श्वेताम्बर भाईयों के संग्रह करने योग्य है आदि । ' "दिगम्बर जैन सूरत" वर्ष ६ अंक १० श्रावण सं० २४४२ इस पुस्तक में श्रावकों के धारण व मनन करने योग्य बातों का संग्रह कुल ५१ विषयों में किया गया है आदि । ___“वैद्य मुरादाबाद" वर्ष ४ अंक ८ और जैन धर्म धारक ग्रहस्थ को श्रावक कहते हैं इसमें श्वेताम्बर जैन सम्प्रदाय के अनुसार श्रावक धर्म का बर्णन किया गया है श्वेताम्बर जैन लोगों के काम की चीन है।
SR No.600357
Book TitleJambu Gun Ratnamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJethmal Choradia
PublisherJain Dharmik Gyan Varddhani Sabha
Publication Year1920
Total Pages96
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size6 MB
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