SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जबु गुण रख माला [॥ रूपसिरी सप्तमी प्रिया बोली मृदु मुसकाय । कृपानाथ बुध आपरा कहां लोवरणी जा य ॥१॥ नेम सरीसा वृक्तता । मानी भावज काण । उण सुं अधिका तुम नहीं इतनी करता ताण ॥२॥ वृद्धमान मा गर्भमयी कियो भिग्रह एह । मात पिता जीव जते संजम व्रत नही लेह ॥ ३ ॥ जिनके पेडे चालवा हुवा आप तैयार । तिन कीतो यह वार्ता सोचो चित्त मझार ॥ ४ ॥ जनक अरु जनता तुमे दूद्वो छो महाराज अम आहूं कूत्रासता सिरे नहीं है काज ॥ ५॥ पृ. ६४ ॥ ढाल अठावीसमी ॥ सकल गुण पूरो एतो साचनो शूरो नृपचंदजी ।। ए देशी ॥ मुलक बोलो बाले सरू । वालिम मोरा । कीजे मोय निहाल हो । करुणा केरा सायरू । वा ०। कर करुणा कृपाल हो ॥ १ ॥ सकल गुण पूरा थे तो मत होवो दूरा । जीवन जंबूनी । अांकडी । हम तल्फां सत्कार । कू० वा० । माछली जिम विण नीर हो । जीले दिलासा नेह सूं । वा० । ओलख हमची पीर हो । स० १॥ सहज मिली तज संपदा । वा० । दुख गई सुख कं चाहात हो । केहरनी जिम डाढरो । बा । मांस सिचाणो खात हो । स० २॥ एही न्याय हिव सांभलो । वा० । साहसवंत सधीर हो । अटवी एक माहे हुँती । वा० गिरी गुफा गंभीर हो । स० ३॥ मृगपति रहितो तिण वने । वा०। हिरणादिक हणखाय हो । निज स्थानक मुख वाहे के । वा० | निद्रावश ते थाय हों। स०४॥ मृवो कलेवर देखने । वा० । पंखी वहु लुभात हो। ढाल
SR No.600357
Book TitleJambu Gun Ratnamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJethmal Choradia
PublisherJain Dharmik Gyan Varddhani Sabha
Publication Year1920
Total Pages96
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy