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गुण
माखा
आय कदम लेप धोई दिया। पाप० । गंधोदक तसू पाय । उपगारी सुखिया किंया ॥१०॥१४॥ प.॥ तत्व पिरयोजन जोय । जीव अंगालक सांचहि । पं० । प० । दुष्ट किसब यह होय । कर्मा दान दश पांचही ॥ १०॥१५॥५०॥ तप्यो उदय अंतराय । अशुभ कर्म झाला देही । प० । प० । विषिया प्यास लगाय। भोग चारी नहीं मिले कहीं ॥१०॥ १६ ॥५०॥ पुन्य जोग सुरसार । काम भोग जल पिया घणा-। प०। प० । जाग्यो नर अवतार । तेह सुख हुवा सुपना तणा ॥ ५० ॥१७॥५०॥ धनरा मामी वाण | देखी
आव्यो चल आतुरी । प० । प० । कांठो अलप ऋद्ध जाण खुच भूल्यो सब चातुरी ॥५०॥१८॥१०॥ सुकृत तोड अंकर । बूंद विषे टपकावतो । प० । । अतृप्ततिरखा भूर । दुकृत पंकले पावतो ॥५० ॥ १६ ॥ ५० ॥रस विपाक समताप । प्रगम्या पडसी झूरणो । कृपा उदक धोए पाप । अवि चल सुख गुर पूरणो ॥५०॥ २०॥ प०॥ तोड सकल मोह जाल । सरण ग्रहो सुधमे तणो । प० । प० । अष्टादशमी ढाल | समझो तज मुग्धा पणो ॥ ५० ॥२१॥
॥दोहा ॥ अण बोली दूजी पिया । रही निरुत्तर होय । बैठी अलगी जाय के भव भ्रमणो भय 'जोय ॥ १॥ पद्म सेणा तृतीया त्रिया मन मेल्या इग रूर । नमन भाव कर तक्षणे। ऊभी प्राव अदूर ॥२॥
॥ ढाल उगणीसमी ॥ उमियादे भटियाणीरी ॥ ए देशी ॥ सुणिये अंबू स्वामी हो । शिव गामी मोरी बीनती। कोई इम किम तोडो नेह । गिरवा प्रभु सोभागी हो। नीरागी काहीं हो रहा । कां। यो उछा
ढाल