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________________ १.१५/ || ग्रह उद्यान में समोसरया महाभाग । खबर हुई राजन प्रतें । ऊपनो हर्ष अथाग ॥ ३ ॥ चतुरंगी सेना सजी।। . साथ सफल परिवार । कोणक आयो शीघ्र ही करवा मुनि दीदार ॥४॥षात विस्तरी शहर में चोहटे चोक बजार । प्रकटी वंदण भावना जंबू हृदय मझार ॥५॥ आव्या तिहां सतावही बंदी श्री गणधार । सनमुख माला जोता नैन भर । बैठा हर्ष अपार ॥ ६॥ चहुं तीर्थ पिच विराजता तारा बिच निश इंद । धर्म कथा मंडाण सूं । दाखे मार्नु मुनिंद ॥७॥ ढाल सातमी ॥ रे रंगीला सूड़ा। ए देशी। अमृत बचन मुनि बोले । भवियारा श्रुत पट खोले । मिण धरम रे को नही तोले । रे रंगावो ज्ञाने ॥१॥ पुदगल गिरधी जीवा ज्यारेज ज्ञान समगीत दीचा । भ्रम भोग्या दुख अति वारे ॥२॥ काल अनंतो भ्रमता । चहुं गत माहे रमता। मिटी मिथ्यात ममसारे ॥२०॥३॥ नरक वेदना भारी । तिरु उष्ण आहारी। जम कहे मारु मारी रे ॥२०॥४॥ वैतरणी में डारे । कुंभी घाल प्रमारे | कुंड सांवली हेठ वैसा रेरे । ॥५॥ पृथ्वी अपते उवायो । प्रत्येक साधारण कायो । जहां अनंत वार हे आयो रे ॥ ६॥ तिहुं विकलेंद्रोरे माई । तिर्यंच पंचेन्द्रीथाई । गिणती पिण जिण की नाईरे । ९० ॥ ७ ॥ शुभ जोग देव गति पाई । दुनारी अधिकाई । देखि झूरणो पड़ियो भाईरे। रं. ॥८॥ वीतो भव देव सरूपनो। पृथ्वी पाणी वणशी ऊपनो । ते सुख है गयो सुपनो रे ॥ २० ॥९॥ नखागत में श्रायो । रुद्ग शुक्रनो आहार करायो । जनता उर माहिर आयो रे । २० ॥१०॥बागल । ढाल
SR No.600357
Book TitleJambu Gun Ratnamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJethmal Choradia
PublisherJain Dharmik Gyan Varddhani Sabha
Publication Year1920
Total Pages96
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size6 MB
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